जाट और किसान अंदोलन का चेहरा रहे किसान नेताओं ने भी इस बार जिला परिषद के चुनावों में जनता से आशीर्वाद मांगा था। कुछ स्वयं चुनाव मैदान में उतरे थे तो कुछ ने अपनी पत्नी या भाई को उम्मीदवार बनाया था। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फरवरी 2016 में हुए दंगों में भाजपा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी जला दी गई थी। उस केस में कबूलपुर निवासी राहुल दादू भी नामजद रहे हैं।
राहुल ने नामांकन दाखिल किया लेकिन चुनाव आयोग ने गंभीर धाराओं के तहत नामांकन रद्द कर दिया। उनके कवरिंग प्रत्याशी व भाई जयदेव दादू ने वार्ड नंबर 10 से 408 वोटों से जीत हासिल की है। जबकि जाट आंदोलन से जुड़े वार्ड नंबर-4 से प्रत्याशी ओम प्रकाश तीसरे नंबर पर रहे। यहां से अनिल कुमार विजयी रहे। वहीं, वार्ड नंबर-5 से प्रत्याशी मीना मकड़ौली भी जाट आंदोलन से जुड़ी थीं। वह भी चुनाव हार गईं।
करनाल से जजपा के पूर्व हलका अध्यक्ष विक्रम सिंह की पत्नी अल्का कुमारी आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीती हैं। विक्रम ने किसान आंदोलन के समर्थन में पार्टी छोड़ दी थी। यमुनानगर में वार्ड चार से भाकियू चढूनी गुट की उम्मीदवार गुरजीत कौर को जीत हासिल हुई है।
कैथल से किसान नेता होशियार सिंह प्यौदा की पत्नी सुरेश कुमारी वार्ड सात से चुनाव हार गईं। महावीर चहल समर्थित उम्मीदवार रीना चहल वार्ड सात से चुनाव हार गईं। पानीपत के वार्ड नौ से भाकियू जिलाध्यक्ष सोनू मालपुरिया की पत्नी को भी हार का सामना करना पड़ा है।
हिसार जिले में दो जगह पर किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने जीत हासिल की। किसान आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कुलदीप खरड़ की बहन सुदेश वार्ड 18 से जीती हैं। वार्ड नंबर 11 से संदीप धीरणवास की भाभी सरोज बाला जीती। वहीं, वार्ड नंबर 10 से किसान नेता सुनील नहरा हार गए।