ब्रोकली एक विदेशी सब्जी है, जिसने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा रखी है. स्वाद और पौष्टिकता में यह सब्जी नंबर वन है. इसे सलाद के रूप में खाएं या पकाकर, शरीर को हर तरह से लाभ देगी. यह विशेष सब्जी है जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर दिल का ‘कामकाज’ सुचारू रखती है. ब्रोकली भारत में ‘अभी’ आई है, लेकिन उत्पादन को लेकर पूरे विश्व में अपनी धाक जमा दी है.
सैंकड़ों व्यंजनों में शामिल की जाती है यह सब्जी
ब्रोकली (Broccoli) दो रंग में आती हैं, हरी और बैंगनी. भारत में इसे विदेशी गोभी माना जाता है. लेकिन गुणों में यह भारतीय गोभी से कई गुना आगे है. ब्रोकली अनगिनत छोटे-छोटे फूलों से बना एक विशाल फूल है. यदि इसे खेत में तोड़ा न जाए तो इसमें से निकले बीजे सुंदर पीले फूलों में बदल जाएंगे. चूंकि ब्रोकली बहुत अधिक गुंफित (गुच्छों में गूंथी) होती है, इसलिए इसे मशीन से काटने के बजाय हाथ से काटा जाता है. एक कारण यह भी है कि ब्रोकली का डंठल भी खूब खाया जाता है.
ब्रोकली को सलाद में कच्चा या सूप में उबाकर खाया जा सकता है. सब्जी तो बनती ही है तो इसे बेक करके खाना भी पसंद किया जाता है. आज पूरी दुनिया के सैकड़ों व्यंजनों में ब्रोकली को शामिल किया जाता है. एक दशक पहले यह सब्जी केवल ठंडे मौसम की सब्जी हुआ करता था, लेकिन ब्रोकोली की आधुनिक संकर प्रजातियों की वजह से किसान कुछ क्षेत्रों में इसे लगभग पूरे साल उगा सकते हैं. इस सब्जी के जलवे का हाल यह है कि पिछले 25 सालों में इसकी खपत में 950 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
इटली में पैदा होकर पूरी दुनिया में फैली
ब्रोकली की उत्पत्ति को लेकर कोई मीन-मेख नहीं है. फूड हिस्टोरियन और फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि आज से करीब 6 हजार वर्ष पूर्व यह इटली में पैदा हुई. कुछ 4 हजार साल पूर्व भी बताते हैं, लेकिन यह कन्फर्म है कि यह पैदा इटली में ही हुई. प्राचीन समय में रोमन वे यूनानी भी नियमित रूप से ब्रोकली को भोजन के रूप में प्रयोग में लाते थे. ब्रोकली को लेकर बीच के हजारों सालों का इतिहास ‘अंधकारमय’ है. इटली के लोग ही 16वीं शताब्दी में इसे यूरोप में लेकर आए. विश्वकोश ब्रिटानिका (Britannica) के अनुसार 1700 के दशक में यह सब्जी इंग्लैंड और अमेरिका में उगना शुरू हुई. आगामी 200 सालों में यह उन देशों में पहुंच गई जहां का मौसम ठंडा था. यह इसलिए पसंद की गई क्योंकि पौष्टिकता के मामले में इसने कई खास सब्जियों को पीछे छोड़ दिया था. इसलिए यह जहां भी पहुंची, किसानों और लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया.
भारत में 1990 में आई और छा गई
विशेष बात यह है कि ब्रोकली भारत में वर्ष 1990 में उगना शुरू हुई. असल में इस दौरान भारत में ‘खुलेपन’ का दौर शुरू हो चुका था और मल्टीनेशनल होटल, कार्यालय आदि खुलने लगे थे. वहां पर विदेशी सब्जियों की जरूरत पड़ने लगी थी, जिसको ध्यान में रखते हुए पुणे के एक किसान जितेंद्र लड़कत ने खाड़ी युद्ध के दौरान केन्या से ब्रोकली के बीज लगाकर उसे उगाया. मौसम ‘अनुकूल’ था, ब्रोकली उग गई और देश को एक नई सब्जी मिल गई.
हैरानी की बात यह है कि आज भारत ब्रोकली उगाने में दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है और अमेरिका जहां ब्रोकली सबसे अधिक खाई जाती है, वह तीसरे नंबर पर है. इतना अधिक उत्पादन होने के बावजूद भारत में ब्रोकली हमेशा महंगी रहती है. उसका कारण यह है कि अधिकतर फसल को दूसरे देशों में निर्यात कर दिया जाता है. ब्रोकली के उत्पादन में स्पेन और मैक्सिको भी बहुत आगे हैं.
विटामिन्स और खनिजों का विशेष मिश्रण है ब्रोकली में
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार करीब 100 ग्राम ब्रोकली में कैलोरी 31, फैट 3.1 ग्राम, कुल वसा 0.3 ग्राम, सोडियम 30 मिलीग्राम, फाइबर 2.6 ग्राम, पोटेशियम 288 मिलीग्राम, कार्बोहाइड्रेट 6 ग्राम, फाइबर 2.4 ग्राम, प्रोटीन 2.6 ग्राम के अलावा विटामिन ए, सी व कैल्शियम के अलावा खनिजों से भी भरपूर है. पोषक तत्वों का यह विशेष मिश्रण ब्रोकली को विशेष बनाता है. जानी-मानी फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन एक्सपर्ट नीलांजना सिंह के अनुसार यह सब्जी रक्त वाहिकाओं को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने में मदद करती है. इसमें फैटी एसिड और फाइबर होते हैं जो शरीर में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं.
ब्रोकली दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी है, क्योंकि यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करती है जिससे दिल स्वस्थ रहता है. माना जाता है कि विटामिन सी खट्टे फलों में होता है लेकिन ब्रोकली में भी यह पर्याप्त मात्रा में होता है, जो स्किन को स्वस्थ रखता है और बालों को भी मजबूत बनाता है. ब्रोकली शरीर में एलडीएल या खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकती है. यह एलडीएल धमनियों में जमाव पैदा करता है जो दिल की रुकावट या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है. ब्रोकोली में पाया जाने वाला फाइबर पाचन तंत्र में पॉजिटिव एसिड पैदा करता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने की संभावना रहती है.
शरीर में मौजूद विषाक्तता को भी कम करती है
नीलांजना सिंह के अनुसार इस विदेशी (Exotic) सब्जी में कैल्शियम के अलावा, जिंक, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे अन्य पोषक तत्व भी हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं. इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट पेट को भरा-भरा रखता है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है. इसमें फैट व कैलोरी कम है तो मान लीजिए कि वजन तो बढ़ने से रहा. ब्रोकली में कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, इसमें विटामिन सी भी है जो प्रतिरक्षा को बनाए रखते हैं. यह आंखों के लिए भी लाभकारी है.
एक्सपर्ट भी मानते हैं कि ब्रोकली में कैंसर की रोकथाम के गुण हैं. उसका कारण यह है कि इसमें फोलेट (क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को सुधारने वाला तत्व) होता है. इसमें शरीर को डिटॉक्सिफाई (विषाक्तता को हटाना) करने के भी गुण हैं. सामान्य रूप से ब्रोकली का कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं है. अगर इसे ज्यादा खा लिया तो पेट फूल सकता है या उसमें जलन भी हो सकती है. यह इसलिए हो सकता है क्योंकि इसमें फाइबर अधिक है. बाकी तो ब्रोकली खाओ और स्वस्थ हो जाओ.