एएनआई से बात करते हुए एनएल मेसन ने कहा कि मुझे वाहनों से प्यार है। पाकिस्तान में बख्तरबंद वाहनों में सफर के दौरान ऑटो में बैठने का मन होता था। भारत आने पर उन्हें ऑटो खरीदने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि ऑटो-रिक्शा चलाना सीखना भी नया अनुभव रहा है। लेकिन उन्हें जोखिम उठाने से डर नहीं लगता है, नया करने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली है। जिन्होंने उन्हें जीवन में जोखिम लेने के लिए प्रेरित किया।
मैक्सिकन राजदूत से थीं प्रेरित
दक्षिण भारत के कर्नाटक में पैदा हुई और अमेरिकी नागरिकता रखने वाली शरीन जे किटरमैन ने कहा कि वह मैक्सिकन राजदूत से प्रेरित थीं, जिनके पास एक ऑटो था। शरीन ने अपने ऑटो में दोनों साइड रंग-बिरंगे लटकन भी बांधी हुई हैं। विंडशील्ड के पास संयुक्त राज्य अमेरिका एवं भारत के झंडे लगाए हुए हैं।
भारतीय संस्कृति का करती हैं सम्मान
उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के बीच और रिश्ता मजबूत करना चाहती है। शरीन ने कहा कि वह भारतीय और अमेरिकी कामकाज के तरीकों को समझती हैं और दूतावास एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करते हैं।
लोगों से मिलने का मिलता है मौका
रूथ होल्म्बर्ग ने कहा कि शहर की हलचल देखने ऑटो से बहुत अधिक पंसद हैं। ऑटो चलाने में बहुत मजा आता है और मुझे अच्छा लगता है जब अन्य महिलाएं देखती हैं कि मैं इसे चला रही हूं और वो उन महिलाओं में भी यह संभावना देखती हैं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए कूटनीति केवल उच्च स्तर की नहीं है। कूटनीति लोगों से मिलना है। एक-दूसरे को जानना हैं और उनसे रिलेशन बनाने का मौका मिल रहा है।