प्रदेश सरकार के निर्देश पर जनपद की सड़कों को गड्ढा मुक्त कराए जाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है। यहां सिर्फ कागजों में ही काम होता हुआ नजर आ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो सिर्फ गड्ढा मुक्ति के नाम पर खानापूर्ति होती हुई नजर आ रही है जबकि यहां के लोगों का कहना है कि घटिया सामग्री का प्रयोग करते हुए इन गड्ढों को भरा जा रहा है। लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से यह कार्य कराया जा रहा है महज एक या दो महीने में स्थिति जस की तस हो जाएगी। इसका लाभ सिर्फ ठेकेदार और अवर अभियंता उठा रहे हैं।
प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाए जाने के लिए योगी सरकार द्वारा पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देशित किया गया है कि शीघ्र सभी सड़कें गड्ढा मुक्त कराई जाए। जनपद में गड्ढा मुक्ति का कार्य तो बहुत तेजी से चल रहा है मगर हकीकत यह है कि यहां सिर्फ खानापूर्ति ही होती नजर आ रही है। गड्ढा मुक्ति में लगाई जाने वाली सामग्री पूरी तरह से घटिया है। गड्ढों को भरने के लिए गिट्टी और डामर की उचित मात्रा होनी चाहिए मगर ठेकेदार अवर अभियंता की शह पर उसमें डस्ट मिलाकर कार्य कर रहा है। इससे होगा यह कि जो गड्ढे अभी भरे गए हैं वह कुछ ही समय बाद फिर से यथा स्थिति में पहुंच जाएंगे। जब लोग इसका विरोध करते हैं तो ठेकेदार बजट न होने की बात कहकर उन्हें चलता कर देते हैं।
वर्तमान में अजीतमल ब्लॉक में हो रहे गड्ढा मुक्त की दशा बहुत ही दयनीय है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यहां सिर्फ कागजों में ही गड्ढा मुक्त हो रहे हैं जबकि धरातल पर कुछ स्थानों पर गड्ढे भरे गए हैं तहसील क्षेत्र के बाबरपुर खेतूपुर मार्ग, अटसू बिरहुनी मार्ग पर गड्ढे भरने का काम चल रहा है।
ग्रामीण अंगद सिंह निवासी मोहद्दीपुर, जवाहरलाल अटसू, सत्येंद्र कुमार तेज का पुरवा, रजनीश राजपूत निवासी चावरपुर एवं महावीर सिंह बारे का पुरवा का कहना है कि सरकार द्वारा तो अच्छा कार्य किए जाने के निर्देश दिए गए हैं मगर उनके अधीनस्थ अधिकारी सरकार की मंशा पर पूरी तरह से पानी फेर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जिन सड़कों पर गड्ढा मुक्ति का कार्य समाप्त हो गया है वहां पर कई ऐसे गड्ढे अभी भी बने हुए हैं जो नहीं भरे गए हैं। जबकि अधिकारियों द्वारा शायद उन गड्ढों को कागजों में भरा दर्शा दिया गया होगा। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की यह योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
इस संबंध में काम कर रहे ठेकेदार अमर सिंह पाल से जब बात की गई तो उसने बताया कि गड्ढा मुक्ति कराए जाने के लिए जो उसे पैसा मिल रहा है उसी के अनुसार वह कार्य कर रहा है। जब इस संबंध में अवर अभियंता सत्यवीर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रति किलोमीटर के हिसाब से गड्ढों को भरने के लिए उन्हें 30 से 40 हजार का भुगतान मिलता है उसी के अनुसार वह कार्य करा रहे हैं। उनका कहना है कि इतने रुपये में जितने गड्ढा मुक्त हो जाएंगे ठेकेदार उतने ही गड्ढों को भरेगा।
इसमें अब खास बात यह है कि प्रदेश सरकार की गड्ढा मुक्त योजना किस प्रकार फलीभूत हो रही है यह ठेकेदार और अवर अभियंता की बात से ही पता चल रहा है कि इतने कम रुपये में प्रति किलोमीटर के हिसाब से कैसे गड्ढों को मुक्त कराया जा सकेगा।