हरियाणा में एमबीबीएस के लिए फीस बढ़ोतरी और बांड पॉलिसी को लेकर विरोध रोहतक से लेकर दूसरे जिलों में भी होने लगा है। भिवानी में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विरोध करते हुए इसे गलत बताया और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
सामाजिक संगठनों ने कहा कि आजाद देश में नागरिकों को किसी भी नियम से बांधा नहीं जा सकता। बता दें कि हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राओं की हर साल 10 लाख रूपये फीस बढाई है और हरियाणा में ही नौकरी करने की बांड पॉलिसी भरवाई जा रही है। इसका विरोध सबसे पहले रोहतक में मैडिकल कॉलेज से शुरू हुआ। विरोध करने वाले छात्र-छात्राओं पर बल प्रयोग भी हुआ। जिसके बाद सरकार के इस फैसले का दूसरे जि़लों में भी विरोध शुरू हो गया है।
भिवानी में ज्ञान-विज्ञान समिति, रिटायर्ड कर्मचारी संघ व किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन कर सरकार के इस फैसले का विरोध कर और रोहतक में एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राओं पर हुये बल प्रयोग की निंदा की। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रिटायर्ड अध्यापक वजीर सिंह व किसान नेता ओमप्रकाश ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट कहता है कि शिक्षा पैसे में बेचने या लाभ कमाने की चीज नहीं, पर हरियाणा सरकार के इस फैसले से एमबीबीएस की हर सीट पैसे वालों के लिए रिज़र्व हो जाएंगी और गरीब, किसान व मज़दूरों के बच्चे इससे वंचित हो जाएंगे।
उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल द्वारा बांड पॉलिसी एमबीबीएस करने वाले बच्चों को हरियाणा में नौकरी करने के लिए रोकने को लेकर दिए बयान को अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि भारत 1947 से आजाद देश है और आजाद देश के नागरिकों को किसी भी पॉलिसी से बांधा नहीं जा सकता।