केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री के ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ विजन को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 265 डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) परास्नातक चिकित्सा सीटों की मंजूरी दी है। इसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों को रेजिडेंट के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद परास्नातक डिग्री दी जाती है, जिसे एमडी/एमएस के बराबर माना जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोगों को तो लाभ मिलेगा ही, डॉक्टरों को भी अपने ही क्षेत्र में प्रशिक्षण का मौका मिलेगा। घर में ही तैयार चिकित्सीय कार्यबल से केंद्रशासित राज्य की स्वास्थ्य सेवा में उल्लेखनीय सुधार आएगा। जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में प्रशिक्षित विशेषज्ञ उपलब्ध कराने की चुनौती को केंद्र सरकार ने मिशन मोड में लिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए सुनिश्चित किया कि जम्मू-कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में परास्तनातक सीटों की अनुमति हो। इसके परिणामस्वरूप विस्तार योजना के पहले चरण में 20 अस्पतालों में 250 से ज्यादा पीजी सीटें उपलब्ध हैं।
50 फीसदी सीटें स्थानीय सेवारत डॉक्टरों के लिए
50 फीसदी सीटें सेवारत स्थानीय डॉक्टरों को प्रशिक्षण का मौका उपलब्ध कराने के लिए आरक्षित हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों को किफायती और सुलभ आधुनिक गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा सभी जिलों में होने से लाभ होगा। यह बदले में प्राथमिक, माध्यमिक और इससे ऊपर की स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाएगी।
परीक्षा केंद्रों की तादाद में भी इजाफा
सरकार ने परीक्षा केंद्रों की संख्या भी बढ़ा दी है। इससे प्रवेश परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थियों को दूसरे प्रदेशों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।