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छठ महापर्व के नहाय खाय पर कद्दू की खरीददारी को उमड़ी भीड़,40 से 200 रुपये तक बिका

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अररिया फोटो:नहाय खाय को लेकर कद्दू की खरीददारी करते लोग

नहाय खाय के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व की शुरुआत हो गयी।भगवान भास्कर और छठी माता को समर्पित हिन्दी पट्टी क्षेत्र में मनाया जाने वाला महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसमें छठव्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है।

चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। छठ का व्रत काफी कठिन होता है क्योंकि इस दौरान व्रती को लगभग 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है।हिंदू पंचांग के मुताबिक,हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है।छठ पूजा के दौरान षष्ठी मैया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है।कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है।

नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है।इस दिन व्रती नदी या घर में स्नान करते हैं और इसके बाद छठ व्रती प्रसाद बनाना शुरू करते हैं। इस दिन सिर्फ एक ही बार खाना खाया जाता है।नहाय-खाय वाले दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैंव और इस दिन हर घर में लौकी या कद्दू की सब्जी बनती है। इस दौरान तैयार किए गए भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।नहाय खाय के दिन बने प्रसाद में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है।छठ व्रती प्रसाद बनाने के बाद पहले भगवान सूर्य की आराधना करते हैं उसके बाद नहाय खाय का प्रसाद ग्रहण करते हैं। छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं।आज के दिन सात्विक भोजन की परम्परा प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की है।इसमे कद्दू की सब्जी के अलावा,अरवा चावल,चना का दाल प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।कद्दू की खरीददारी को लेकर आज बाजार में काफी चहल पहल रही।गुरुवार से ही कद्दू की खरीददारी के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ी रही।40 रुपैये से लेकर दो सौ रुपैये तक कद्दू की बिक्री की गई।इसके अलावे कद्दू उपजने वाले किसानों ने छठव्रतियों के बीच मे कद्दू का वितरण भी कई स्थानों पर मुफ्त में किया गया।

छठ पूजा के पहले दिन, जिन लोगों को व्रत रखना होता है वो सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं और फिर उसके बाद खाना खाते हैं। व्रती लोग इस दिन धोया हुआ कपड़े पहनते हैं इसके बाद सूर्य देवता के लिए प्रसाद बनाया जाता है।

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है।इस दिन प्रसाद के तौर पर गुड और चावल की खीर बनाई जाती है।जिसे व्रती और परिवार के बाकी सदस्य खाते हैं और इसे प्रसाद के तौर पर भी बांटा जाता है। इसके बाद से 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है जिसका समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न होता है।छठ को लेकर बाजार में तेज चहल पहल है।पूजा सामग्री के साथ छठ घाट निर्माण में युवाओं की टोली लगी है।पूरा वातावरण छठी मैया के गीतों से गुंजायमान है।

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