दुनिया के सबसे बड़े पुलिस संगठन ‘इंटरपोल’ की वार्षिक महासभा का आगाज आज (मंगलवार) को राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में हो रहा है। चार दिवसीय इस महासभा का समापन 21 अक्टूबर को होगा। भारत को इसकी मेजबानी का मौका दूसरी बार मिला है। ढाई दशक पहले 1997 में इंटरपोल की महासभा भारत में हुई थी। इस बार महासभा में इंटरपोल के 195 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इनमें सदस्य देशों के मंत्री, पुलिस प्रमुख, केंद्रीय ब्यूरो के प्रमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं। आयोजन स्थल प्रगति मैदान में सुरक्षा का अभूतपूर्व इंतजाम किया गया है।
महासभा में इंटरपोल के कामकाज की समीक्षा के साथ महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। आर्थिक अपराधों और भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 25 साल बाद दूसरी बार इंटरपोल महासभा की मेजबानी की शानदार तैयारी की है। यह आयोजन भारत की कानून-व्यवस्था के तंत्र से दुनिया को अवगत कराने का एक सुअवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज महासभा का उद्घाटन और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समापन समारोह को संबोधित करेंगे।
इंटरपोल का मकसद: इंटरपोल महसभा का मकसद है कि आने वाले वर्षों में आपराधिक चुनौतियों का सभी देश कैसे सामना करें। कैसे आपसी समन्यवय के साथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जाए। देश और दुनिया में चल रहे आपराधिक गठजोड़ को देखते हुए दिल्ली में होने वाली इंटरपोल की इस महासभा को बेहद अहम माना जा रहा है। इस महासभा में नार्को-टेररिज्म, ड्रग सिंडिकेट, साइबर क्राइम, गैंगस्टर्स के ठिकानों और फ्रॉड से जुड़े अपराधियो और अपराध के पैटर्न पर न सिर्फ चर्चा होगी बल्कि एक दूसरे से इनपुट शेयर करने पर सहमति भी बनाने की कोशिश की जाएगी।
इंटरपोल का इतिहास: इंटरपोल अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है। इसमें सदस्य देशों की संख्या 194 है। इसका मुख्यालय फ्रांस के लयोन में है। मोनाको में आयोजित पहली इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कांग्रेस (14 से 18 अप्रैल 1914) में इंटरपोल का विचार पैदा हुआ था। उस समय 24 देशों के अधिकारियों ने अपराध को सुलझाने ,तरीकों, तकनीक की पहचान और प्रत्यर्पण के लिए आपसी सहयोग पर चर्चा की थी। इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग के तौर पर 1923 में हुई। 1956 से इसका नाम इंटरपोल प्रचलित हुआ। 1949 में भारत इसका सदस्य बना।
सीबीआई अधिकृत: दरअसल, सभी देश इस प्लेटफार्म पर आकर अपने-अपने देश में मौजूद अपराधियों और अपराध की जानकारियां एक दूसरे से साझा करते हैं। भारत में सीबीआई इंटरपोल से संपर्क में रहने के लिए अधिकृत है। यानी सीबीआई इंटरपोल और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी है।
क्या होता है इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस:
इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर प्रवीण सिन्हा ने इंटरपोल की 90 वीं महासभा के बारे में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेश में छिपे किसी अपराधी या आतंकवादी के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। इससे यह लगता है कि रेड नोटिस जारी हो गया। अब वह अपराधी निश्चित तौर पर गिरफ्तार हो जाएगा। लेकिन यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। इंटरपोल किसी देश को उस अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता । इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा कि रेड कार्नर नोटिस अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है। इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। किसी मामले की योग्यता या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय का न्याय/जज करना इंटरपोल के लिए नहीं है- यह एक संप्रभु मामला है।
स्टॉक ने कहा कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन कोई भूमिका नहीं निभाता है। इसका ध्यान साइबर अपराधियों, मादक पदार्थ के सौदागरों और बाल शोषण करने वालों पर अंकुश लगाने पर रहता है। इंटरपोल महासचिव ने कहा कि हम मुख्य रूप से अपने संविधान के अनुसार सामान्य कानून अपराध पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, अरबों पैसा कमाने की चाहत रखने वाले मादक पदार्थ सौदागरों और साइबर अपराधियों के खिलाफ काम कर रहे हैं तथा इस पर इंटरपोल का मुख्य ध्यान है। दुनिया भर में ज्यादातर यही अपराध होते हैं। महासचिव ने कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों के प्रतिनिधि भी महासभा में शामिल होने के लिए आ चुके हैं।