अखंड सौभाग्य एवं स्त्रियों के दांपत्य जीवन में पतिसौख्य का प्रतीक संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत एवं करक चतुर्थी करवा चौथ का व्रत 13 अक्तूबर को मनाया जाएगा। जिन नवविवाहित स्त्रियों का पहला करवाचौथ है, वह इस बार व्रत नहीं रख सकेंगी। शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यों के साथ ही नए व्रत की शुरूआत नहीं की जा सकती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि दो अक्तूबर से 20 नवंबर तक शुक्र ग्रह अस्त रहेगा। शुक्र के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यों के साथ ही नए व्रत की शुरूआत नहीं हो सकती है। सौभाग्यवती स्त्रियां पहले से व्रत कर रही हैं, उन्हें कोई दोष नहीं लगेगा लगेगा, नवविवाहिता जिनकी शादी अभी हुई है वह इस व्रत का प्रारंभ अगले वर्ष से करेंगी।
व्रत का विधान
करक चतुर्थी करवा चौथ के दिन सौभाग्यवती स्त्रियों को प्रात: काल में स्नानादि करके तिथि वार नक्षत्र का मन में स्मरण करते हुए हाथ में जल लेकर संकल्प करना चाहिए। सुख, सौभाग्य, पुत्र, पौत्र आदि के अखंड सौभाग्य स्थिर लक्ष्मी की कामना करनी चाहिए। सायं काल में मिट्टी के करवे को रखकर भगवान शिव, पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात कथा श्रवण एवं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने सपरिवार मंगल की कामना करना चाहिए। – पं. दीपक मालवीय ज्योतिषाचार्य एवं सदस्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद वाराणसी