घरेलू हिंसा के एक मामले में निचली अदालत द्वारा पत्नी को भरण पोषण दिए जाने के आदेश के खिलाफ दायर अपील को एडीजे विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने स्वीकार कर ली। कोर्ट ने निचली अदालत के भरण-पोषण के आदेश को खारिज करते हुए कहा है कि यदि महिला गैर मर्द के साथ रह रही है तो वह अपने पति से भरण-पोषण पाने की अधिकारिणी नहीं होगी।
कोर्ट में पति गौरव शुक्ला की ओर से अपील दाखिल कर वकील शैलेंद्र कुमार यादव एवं मनोज कुमार प्रेमी ने बताया कि गौरव शुक्ला की शादी आठ फरवरी 2011 को प्रियंका शुक्ला से हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद से ही उसकी पत्नी अलग रहना चाहती थी। उसका सुचित सेठ नामक व्यक्ति से संबंध है और पति की जानकारी के बिना प्रियंका उसके साथ रह रही है।
पति की ओर से इस मामले को लेकर थाना पीजीआई में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ-साथ विवाह विच्छेदन का मामला पारिवारिक न्यायालय में दाखिल किया गया, जिसमें सुजीत सेठ को भी पक्षकार बनाया गया है। वहीं, प्रियंका शुक्ला ने निचली अदालत में पति से भरण पोषण दिलाने का मुकदमा किया था, जिसमें निचली कोर्ट ने पति गौरव को पत्नी को 12 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया था।
इसके खिलाफ पति ने एडीजे कोर्ट में अपील दाखिल की। सुनवाई के बाद एडीजे कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया।