अवध के सभी जिलों में लगातार दो दिनों से हुई बारिश के चलते हुए हादसों ने छह लोगों की जान ले ली। वहीं, श्रावस्ती में बाढ़ के दौरान बचाव राहत कार्य में लगी एक नाव डूबने से लेखपाल लापता हो गए। रायबरेली के गदागंज के मुतवल्लीपुर की सरवरी बानो (48) की घर की पक्की छत ढहने से मलबे में दबकर मौत हो गई। वहीं, शिवगढ़ के सकतपुर मजरे बसंतपुर के दुखी की पड़ोसी की दीवार ढहने से मौत हो गई। बाराबंकी में बिजली गिरने से एक युवती की मौत हो गई। अयोध्या के थाना महराजगंज में छप्पर पर पेड़ गिरने से 12 साल की बच्ची की जबकि सुल्तानपुर के कुड़वार में बिजली गिरने से 22 वर्षीय पूनम की मौत हो गई। बहराइच में गायघाट में एक किसान सरयू में बह गया।
मानसून के बाद मेघ मेहरबान, छह दिन में 227 फीसदी अधिक बरसात
प्रदेश में अभी मानसूनी सीजन खत्म होने की घोषणा नहीं की गई है लेकिन तारीखों के हिसाब से यह सीजन खत्म हो गया है। इसके बाद एक से छह अक्तूबर के लिए अलग से आंकड़ों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। cc
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आमतौर पर अक्तूबर में सामान्य बरसात 11.8 मिमी अपेक्षित थी लेकिन 38.8 मिमी बारिश हुई। बरसात को लेकर सर्वाधिक खतरनाक स्थिति बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर व आसपास के लिए इलाकों के लिए हैं। इन इलाकों के रेड अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं बाराबंकी, बस्ती, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी व आसपास के लिए आरेंज अलर्ट जारी करते हुए यहां अत्यधिक बारिश के आसार जताए गए हैं। इसी तरह लखनऊ समेत पूर्वी यूपी के जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी देते हुए येलो अलर्ट जारी किया गया है। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक, अभी आठ अक्तूबर तक बरसात के आसार हैं। साथ ही इस बार दिवाली में भी बारिश होने के आसार हैं।
24 घंटे में गोंडा में सबसे अधिक पानी बरसा
प्रदेश में बीते 24 घंटे में सर्वाधिक पानी गोंडा में बरसा। गोंडा में 222.8 मिमी बरसात दर्ज हुई। महाराजगंज में 199.6 मिमी, श्रावस्ती में 176 मिमी, गोरखपुर 173 मिमी, 175 अयोध्या में चित्रकूट में 152 और सुल्तानपुर में 122 मिमी बरसात दर्ज हुई।
सितंबर में हुई बारिश ने यूपी का घाटा कुछ कम किया
यूपी के लिए भी मानसूनी सीजन चुनौती भरा रहा। पूरे सीजन में 533.6 मिमी. ही पानी बरसा, जबकि 746.2 मिमी. बरसात का अनुमान था। यानी 28 फीसदी कम बारिश हुई। सितंबर की झमाझम ने इस कमी को पूरा करने में मदद की। एक जून से 15 सितंबर तक पूर्वी यूपी में 42 और पश्चिमी यूपी में 45 फीसदी कम बरसात दर्ज की गई। 16 से 30 सितंबर के बीच हुई बरसात से यह घाटा कम होकर 30 और 25 फीसदी रह गया।