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इलाहाबाद संग्रहालय के सेंट्रल हॉल में अब नहीं दिखेगी आजाद की पिस्तौल

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इलाहाबाद संग्रहालय के सबसे बड़े आकर्षण के रूप में सेंट्रल हॉल में प्रदर्शित की गई अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की कोल्ट पिस्तौल हटा दी गई है। अब यह पिस्तौल क्रांतिवीरों पर आधारित देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी की शोभा बनेगी। अब राजभवन की अनुमति से आजाद की पिस्तौल को इंटरेक्टिव गैलरी में प्रदर्शित करने की तैयारी है।

फिलहाल तब तक संग्रहालय में लोग आजाद की पिस्तौल नहीं देख सकेंगे। इसलिए कि इसे सेंट्रल हॉल से हटाकर रिजर्व कर लिया गया है। आजाद की पिस्तौल हटाए जाने के साथ ही संग्रहालय का पूरा लुक बदलने की तैयारी है। सेंट्रल हॉल के आधुनिकीकरण पर काम शुरू हो गया है। सेंट्रल हॉल को नया रूप देने के बाद आजाद की पिस्तौल 10 करोड़ रुपये की लागत से बनी देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी में प्रदर्शित की जाएगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस इनटरेक्टिव गैलरी का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराने की योजना है।

 

इसके लिए संस्कृति मंत्रालय की ओर से पीएमओ को पत्र लिखा गया है। इस बीच पिस्तौल की शिफ्टिंग की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। संग्रहालय के वित्त अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि फिलहाल अब सेंट्रल हॉल में आजाद की पिस्तौल नहीं दिखाई देगी। संग्रहालय के सेंट्रल हॉल से हटाई गई इस कोल्ट पिस्तौल की भी कहानी कम दिलचस्प नहीं है।

27 फरवरी 1931 को तत्कालीन एसएसपी नट बावर के नेतृत्व में अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से घिरने के बाद आजाद ने इसी पिस्तौल से खुद की कनपटी पर गोली मारकर भारत माता की आजादी के लिए शहादत चुन ली थी। नट बावर की सेवानिवृत्ति के वक्त ब्रिटिश सरकार ने यह कोल्ट उन्हें उपहार में दे दी। जिसे वह अपने साथ इंग्लैंड ले गया था। इसके बाद वर्षों की मशक्कत के बाद इस पिस्तौल को वापस लाया जा सका।

एसएसपी रहे नट बावर को सेवानिवृत्ति के समय उपहार में दे दी गई थी आजाद की कोल्ट पिस्तौल
पहली बार आजाद की कोल्ट पिस्तौल इंग्लैंड से भारत वापस लाने की मांग उठने पर इलाहाबाद के कमिश्नर रहे मुस्तफी ने नट बावर को पत्र लिखा था। संग्रहालय के पूर्व निदेशक डॉ. सुनील गुप्ता बताते हैं कि तब बावर ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया था। बाद में नट बावर से कोल्ट वापस लेने के लिए इंग्लैंड स्थित भारतीय हाई कमिश्नर की मदद लेनी पड़ी। तब वह इस शर्त पर इसके लिए राजी हुए थे कि भारत की ओर से उनसे इसका लिखित अनुरोध किया जाए।

इतना ही नहीं अनुरोध के साथ इलाहाबाद में आजाद के शहादत स्थल पर लगी मूर्ति का चित्र भी भेजने की उन्होंने शर्त रखी थी। इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद 1972 में यह ऐतिहासिक कोल्ट पिस्तौल देश की राजधानी दिल्ली लाई जा सकी और 27 फरवरी 1973 को लखनऊ में क्रांतिकारी शचींद्रनाथ बख्शी की अध्यक्षता में हुए समारोह के बाद लखनऊ के संग्रहालय में रखवा दी गई। कुछ वर्षों के बाद इलाहाबाद में संग्रहालय जब बनकर तैयार हुआ तो इसको यहां लाया गया।

आजाद की ऐतिहासिक पिस्तौल सेंट्रल हॉल से हटवाकर रिजर्व कर ली गई है। फिलहाल इसे सुरक्षित रखने का ही निर्णय किया गया है। राज भवन से अनुमति मिलने के बाद इसे देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा। – राजेश मिश्र, इंचार्ज, आजाद गैलरी।

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