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सेंट्रल विस्टा में राष्ट्रीय चिह्न पर लगे शेर स्टेट एमब्लम ऑफ इंडिया एक्ट का उल्लंघन नहीं करते

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेंट्रल विस्टा में लगे राष्ट्रीय चिह्न पर लगे शेर स्टेट एमब्लम ऑफ इंडिया एक्ट का उल्लंघन नहीं करते। जस्टिस एम आर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो वकीलों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अलदानिश रीन और रमेश कुमार मिश्रा ने याचिका दायर करके कहा था कि सेंट्रल विस्टा में लगे राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ में रखे गए मूल प्रतीक से अलग है। इसमें शेर उग्र नजर आ रहे हैं। उनके मुंह खुले हैं, नुकीले दांत दिख रहे हैं। राजचिह्न में इस तरह का बदलाव स्टेट एमब्लम ऑफ इंडिया एक्ट के खिलाफ है।

याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय चिह्न भारत गणराज्य की पहचान है। राष्ट्रीय चिह्न में बदलाव कर संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन किया गया है। ऐसा करना किसी की राष्ट्रीय अस्मिता और संवैधानिक विश्वास के अधिकार का उल्लंघन है। 26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय चिह्न को राष्ट्रीय मुहर के रूप में अपनाया गया था।

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