कानपुर के रोशन नगर में आयकर अधिकारी विमलेश कुमार के शव को डेढ़ साल तक घर पर रखने के मामले में बुधवार को पुलिस ने घर पहुंचकर जांच की तो पाया कि जिस ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल परिवार वाले विमलेश पर कर रहे थे वह खराब था। जिससे उसकी रीडिंग गलत आ रही थी। पुलिस का मानना है कि पुत्र मोह में माता-पिता को अंधविश्वास ने जकड़ा था। अन्य परिजन भी उनकी हां में हां मिलाने लगे। किसी भी तरह की साजिश की आशंका नहीं है। वहीं, परिजनों ने अपनी बात दोहराई और कहा कि विमलेश की सांसें चल रही थीं, वह जीवित था, अब भी इसपर यकीन है। एडीसीपी पश्चिम लाखन सिंह यादव के नेतृत्व में गठित टीम दो घंटे की तहकीकात के बाद दोपहर दो बजे लौटी। जांच में स्पष्ट हुआ कि परिवार वालों ने विमलेश के शव पर किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया था।
मां रामदुलारी और पिता रामऔतार ने बताया कि वह हर रोज गंगाजल से उसका शरीर साफ करते थे। जब जांच अधिकारी ने पूछा कि विमलेश का शरीर हरकत करता था या नहीं।
तब उन्होंने कहा कि ऐसा लगता था कि सांस चल रही है लेकिन कोई हरकत नहीं करता था। दावा किया कि जब पुलिस व मेडिकल टीम उसको ले जा रही थी तब भी उसकी धड़कन चल रही थी।
सब कह रहे थे तो हमने भी मान लिया
एडीसीपी ने विमलेश की पत्नी मिताली से जब पूछा कि क्या तुमको पता था कि विमलेश की मौत हो चुकी है? इस पर मिताली ने कहा कि मालूम तो था लेकिन जब सब कह रहे थे कि वह जिंदा है तो मैंने भी मान लिया था।
विमलेश के दफ्तर को उन्होंने ही दो पत्र भेजे। पहले में मौत की सूचना दी तो दूसरे में परिजनों के कहने पर तबीयत खराब होने की बात लिखी थी।
विमलेश के भाई दिनेश ने बताया कि जब विमलेश का शव घर आया था तो एक रिश्तेदार उनके सीने पर सिर रखकर रो रहा था। तभी उसने उनके जिंदा होने की बात कही थी। उन्होंने इलाज पर लाखों खर्च की बात भी कही।