पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रचारक व सक्रिय सदस्य खाड़ी देशों से जकात का पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वहां के अमीर कारोबारियों को भारत में मुस्लिमों पर जुल्म की झूठी कहानी बयां करते हैं। फिर उन्हीं पैसे से भारत में आतंक की पाठशाला चलाते हैं। पीएफआई यहां गरीबों की पढ़ाई व बीमारी के नाम पर मदद कर नेटवर्क मजबूत कर रहा है।
इसका खुलासा केरल के कोझिकोड से ईडी की गिरफ्त में आए पीएफआई के प्रचारक शफीक पाएथ की पूछताछ में हुआ है। शफीक से ईडी के हजरतगंज स्थित कार्यालय में पूछताछ की जा रही है। शफीक की रिमांड तीन अक्तूबर को खत्म होगी।
पीएफआई के लिए फंड जुटाने का काम रिहैब इंडिया फाउंडेशन करता है। यही फाउंडेशन ही शफीक को पैसे देता था, जिसे उसने लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों के अलावा दिल्ली और भारत-नेपाल सीमा के इलाकों में संगठन को मजबूत करने के लिए खर्च किया।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक फाउंडेशन के जरिए आए पैसे को धार्मिक संस्थानों में लगाया जा रहा है, जहां धर्म के नाम पर जिहाद का संदेश दिया जाता है। इन पैसों से जरूरतमंदों को लालच देकर धर्मांतरण व लव जिहाद कराई जा रही है। ईडी को शफीक से पीएफआई का नेटवर्क खाड़ी देशों से जुड़े होने की जानकारी मिली है। शफीक विदेशियों को भी संगठन से जोड़ने का काम कर रहा था।
करीब 250 व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर कर रहा था प्रचार
अब तक की जांच में पता चला है कि खाड़ी देशों से भेजी गई रकम से ही हाथरस कांड के बाद यूपी में माहौल बिगाड़ने की साजिश हुई थी। गल्फ तेजस डेली केरल में प्रकाशित होने वाले तेजस अखबार का हिस्सा है। इसी के पहचान पत्र पर सिद्दीक कप्पन हाथरस कांड की कवरेज करने आया था।
अबू धाबी के रेस्टोरेंट के जरिए आ रहा हवाला का पैसा
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक शफीक को उसके अखबार का निदेशक विदेश से आने वाला पैसा देता था। पिछले दिनों गिरफ्तार पीएफआई के सदस्य अब्दुल रजाक बीपी ने सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में खुलासा किया था कि वह अबू धाबी के दरबार रेस्टोरेंट से हवाला के जरिए पैसे लेता था। यह रेस्टोरेंट उसका भाई चलाता है। रजाक भी तेजस अखबार से जुड़ा है।