यूक्रेन के साथ युद्ध का असर रूसी विमान सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना पर भी पड़ा है, इसलिए अब इस बेड़े का भारत में ही तेजी के साथ आधुनिकीकरण करने का फैसला लिया गया है। अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना काफी समय से लंबित होने की वजह से अब वायु सेना अपनी लड़ाकू स्क्वाड्रन को मजबूत करने के इरादे से सुखोई का अपग्रेडेशन तेज गति से बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
रूस के साथ पहली बार 30 नवंबर,1996 को हुए अनुबंध के बाद से भारत ने मार्च, 2020 तक ऑर्डर किए गए सभी 272 विमानों का उत्पादन पूरा कर लिया लेकिन इस समय वायुसेना के पास 261 सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं। दरअसल, 2000 से 2019 के बीच 11 सुखोई-30 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में इन विमानों की भरपाई करने के लिए जुलाई, 2020 में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 10,730 करोड़ की लागत से 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद को मंजूरी दी है। भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई हवा से हवा मार करने वाली नई मिसाइलों के लिए बेहद कारगर माना जाता है। इसलिए 40 सुखोई विमानों को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से लैस किए जाने के लिए मॉडर्नाइज कर दिया गया है।
इसके बाद वायु सेना ने अपने 85 एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को नवीनतम मानकों तक अपग्रेड करने के लिए 35 हजार करोड़ की योजना बनाई। रूस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से इन 85 विमानों को स्वदेशी शक्तिशाली रडार और नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं से लैस किया जाना था, ताकि इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत और ताकतवर बनाया जा सके। इस बीच फरवरी में शुरू हुए रूस और यूक्रेन में संघर्ष के कारण यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी, क्योंकि रूसी पुर्जों की आपूर्ति समय से नहीं हो पा रही है। वायु सेना अपने अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों की अपग्रेडेशन योजना को अब और अधिक समय तक लंबित नहीं रख सकती, इसलिए अब इस बेड़े का भारत में ही तेजी के साथ आधुनिकीकरण करने का फैसला लिया गया है।
वायु सेना के एक अधिकारी ने कहा कि पहले अपग्रेड के लिए वायु सेवा गुणवत्ता आवश्यकताओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उस मोर्चे पर बहुत तेज गति से काम चल रहा है। हम निजी उद्योग को शामिल करते हुए देश के भीतर जितना संभव हो सकेगा, उतना अपग्रेड करने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि अपग्रेड प्रक्रिया एक विमान की खरीद जितनी ही है। अधिकारी ने कहा कि बुनियादी मिशन क्षमताओं को पूरा करने और देश के भीतर उड़ान नियंत्रण करने का प्रयास जारी है। वायु सेना अगले कुछ दशकों के लिए विमानों को समकालीन बनाए रखने के लिए उनमें नए हथियार, एवियोनिक्स, सेंसर और इंजन जोड़ने पर विचार कर रही है।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने पहले ही कहा था कि पुराने जेट विमानों का कुल तकनीकी जीवन पूरा करने और नए विमानों को बेड़े में शामिल करने में देरी की वजह से सुखोई को अपग्रेड करना पहली प्राथमिकता बन गया है। वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भले ही रूस से पुर्जों की आपूर्ति निकट भविष्य में भी ऐसी ही रहने की उम्मीद है। इसके बावजूद विमानों को अपग्रेड करने में पुर्जों की कमी को आड़े नहीं आने दिया जायेगा, क्योंकि भारत ने उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और चीन के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद काफी मात्रा में इनका स्टॉक कर लिया था।