शांतिकुंज में श्राद्ध पक्ष में निःशुल्क सामूहिक श्राद्ध संस्कार का आयोजन होता है। इसी श्रृंखला में मातृ नवमी के अवसर पर कई हजारों साधकों ने दस पारियों में अपने पितरों की याद में श्रद्धा संस्कार सम्पन्न किया। इस दौरान आचार्यों ने कहा कि पौधारोपण, पंचबलि यज्ञ, सद्ज्ञान का प्रचार-प्रसार आदि कई ऐसे कार्य हैं, जिससे इहलोक-परलोक सुधरता है और समाज को प्रेरणा मिलती है। पितरों के समर्पित श्राद्ध पक्ष में उनके निमित्त श्राद्ध संस्कार करना हिन्दु संस्कृति की महान परंपराओं में से एक है। इस समय अपने पूर्वजों की याद में श्रद्धा भाव से किया गया श्राद्ध कर्म निश्चित रूप से फलदायी होता है।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में श्राद्ध पक्ष के प्रारंभ से लेकर अब तक नियमित रूप से नित्य कई पारियों में सामूहिक श्राद्ध-तर्पण संस्कार किया जा रहा है। इसमें अंतःवासी कार्यकर्ताओं के अलावा देश के कोने-कोने से आने वाले लोग भागीदारी करते हैं। श्राद्ध कर्म में प्रयोग होने वाली समस्त सामग्री शांतिकुंज अपनी ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराता है। वहीं भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में स्थापित शक्तिपीठ, प्रज्ञापीठ एवं प्रज्ञा संस्थानों में भी यह क्रम चलाया जा रहा है। देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या के आह्वान पर असमय कालकलवित हुए मृतात्माओं की आत्मिक शांति एवं सद्गति के लिए श्राद्ध-तर्पण एवं विशेष मंत्र से यज्ञ आहुतियां दी जा रही हैं।
वहीं गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी की 96वीं जन्म जयंती के अवसर पर शांतिकुंज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिवीजन द्वारा तैयार की गयी जीवनवृत्त पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का गायत्री परिवार प्रमुख ने विमोचन किया। करीब 14 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में गायत्री परिवार की संस्थापिका के व्यक्तित्व से लेकर युग निर्माण मिशन आंदोलन के नेतृत्व आदि को सुन्दर ढंग से पिरोया गया है। इस डॉक्यूमेंट्री को अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की अधिकारिक यूट्यूब चैनल शांतिकुंज वीडियो पर देखा जा सकता है।