आज भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन है। इस दिन इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। एम. विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे, जिन्होंने आधुनिक भारत की रचना की और तकनीक को नया रूप दिया। वह युवाओं के प्रेरणा श्रोत हैं। इंजीनियर्स डे पर हम काशी और इससे जुड़े कुछ ऐसे ही तकनीक के हुनरमंदों से रूबरू होंगे जिन्होंने अपने आविष्कारों से समाज की मदद करने का प्रयास किया।
रोबो वॉर में काशी के स्वर्णिम ने बढ़ाया मान
12वीं के छात्र स्वर्णिम को बचपन से तकनीक से लगाव है। महज 11 साल की उम्र में वह रोबोट के एक से बढ़कर एक मॉडल तैयार कर चुके हैं। स्वर्णिम लखनऊ व कानपुर में इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में टॉप तीन में जगह बना चुके हैं। रोबोटिक मॉडल तैयार करने के साथ ही स्वर्णिम कई एप व साफ्टवेयर भी तैयार कर चुके हैं, जिन पर कई कंपनियां आज काम कर रही हैं।
आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र ने किया वंदेभारत ट्रेन की बोगी का फ्रेम
आईआईटी बीएचयू में शोध मामलों के अधिष्ठाता प्रो. राजीव प्रकाश ने बताया कि 1971 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र रह चुके डॉ. आरएन त्रिपाठी ने वंदेभारत ट्रेन की बोगी का फ्रेम किया है।
मूलरूप से कानपुर निवासी आरएन त्रिपाठी कहते हैं कि किसी भी ट्रेन के कोच में बोगी फ्रेम (चेचिस) की बड़ी भूमिका होती है। कानपुर में अपनी फैक्ट्री में ही उन्होंने वंदेभारत की बोगी का फ्रेम किया है। इससे पहले राजधानी, शताब्दी, मेट्रो के साथ ही एलएचबी कोच सहित सैकड़ों ट्रेनों के कोच का बोगी फ्रेम कर चुके हैं।
रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला और रायबरेली से भी कंपनी को बोगियों का फ्रेम बनाने का आर्डर मिला है। बताया कि पिता ने मेडिकल की पढ़ाई बीएचयू से की जबकि मां ने 1946 में पंडित मदन मोहन मालवीय के कुलपति के कार्यकाल में विमेंस कॉलेज बीएचयू से बीए, बीएड की पढ़ाई की।