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पारंपरिक तरीके से हुई भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा

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अनंत पूजा

भगवान नारायण श्रीहरि विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना करने के लिए मनाया जाने वाला अनंत चतुर्दशी का व्रत शुक्रवार को पारंपरिक तरीके से श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी भगवान विष्णु के विराट स्वरूप का चित्र शेयर करते हुए देशभक्तों को अनंत चतुर्दशी की शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर तमाम गांव में वैदिक मंत्रों के जानकार पंडित द्वारा सामूहिक रूप से अनंत पूजन कार्यक्रम आयोजित किए गए। जहां कि बड़े पैमाने पर लोगों ने धागे से बने 14 गांठ वाले अनंत सूत्र की पूजा-अर्चना कराई। विभिन्न जगहों पर लोगों ने अपने-अपने घर में भी पंडित को बुलाकर अनंत पूजा किया।

इस मौके पर अनंत देव को कच्चा दूध, पंचामृत, गुड़, खीरा और रोटी के भोग भी लगाए गए। इसके बाद श्रद्धालु भक्तों ने श्रद्धापूर्वक अनंत चतुर्दशी की कथा सुनी तथा अपने-अपने हाथों पर सूत्र को बांधा अनंत सूत्र को धारण किया। पंडित आशुतोष झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से हर प्रकार की परेशानी और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत अर्थात जिसके ना आदि का पता है और ना ही अंत का, अर्थात वे स्वयं श्री नारायण हैं। आज के दिन भगवान विष्णु के नाम से व्रत रखकर, उनकी पूजा करके अनंतसूत्र बांधने से समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोक तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की गई। इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं चौदह रूपों में प्रकट हो गए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे।

इस मौके पर एक ओर भगवान विष्णु के विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई तथा सभी देवताओं को भी अनंत सूत्र चढ़ाए गए। दूसरी ओर अनंत चतुर्दशी को लेकर सुबह से ही गंगा घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। जहां लोगों ने स्नान ध्यान के बाद भगवान विष्णु समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर परिवार, समाज, देश और विश्व के कल्याण की कामना किया। गंगा स्नान के लिए सबसे अधिक भीड़ सिमरिया धाम में जुटी तथा यहां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने सिद्धाश्रम सहित तमाम मंदिरों में पूजा-अर्चना किया।

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