पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के एक टकराव बिंदू गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) से भारतीय और चीनी सेना की अग्रिम टुकड़ियों को पीछे हटाने का काम गत गुरुवार 8 सितंबर को सुबह 8 बजे शुरू हुआ तथा यह 12 सितंबर को पूरा हो जायेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सेनाओं को पीछे हटाने के सम्बंध में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में शुक्रवार को बताया कि दोनों देशों की अग्रिम सैनिक टुकड़ियां अपने-अपने क्षेत्रों में लौट जाएंगी।
सैनिकों की वापसी चरणबद्ध और समन्वित रूप से होगी तथा इसका सत्यापन होगा। उन्होंने बताया कि भारत और चीन के सैन्य कोर कमांडर की 16वें दौर की बैठक चुशुल मोल्दो में गत 17 जुलाई को हुई थी। उसके बाद दोनों देशों के बीच सैनिकों की तैनाती को लेकर लगातार संपर्क बना हुआ था। इसके नतीजे में दोनों देशों ने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) के अग्रिम सैनिक टुकड़ियों को पीछे हटाने पर सहमत हुए थे।
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों ने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) में बनाये गए अस्थाई ढांचों और अन्य सम्बन्धित आधार भूत संरचना को हटाने पर सहमति बनायी है। दोनों पक्ष इस काम का सत्यापन करेंगे। इस क्षेत्र के भूभाग का जो स्वरूप सैन्य टकराव के पहले था उसे बहाल किया जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को बनाए रखने और सम्मान करने पर सहमति व्यक्त की है। साथ ही यथास्थिति में किसी तरह का एकतरफा बदलाव न करने पर सहमति जताई है।
उन्होंने कहा कि पीपी-15 पर बने सैन्य गतिरोध के समाधान के साथ दोनों देशों ने यह भी तय किया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बकाया मुद्दों को हल करने के लिये बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा ताकि सीमाक्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति कायम हो सके।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग उजबेकिस्तान के समरकंद में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में भाग लेने वाले हैं। समरकंद में 15 और 16 सितंबर को आयोजित होने वाली इस वार्ता में मोदी और राष्ट्रपति शी की संभावित बैठक को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
पूर्व में इससे मिलते-जुलते घटनाक्रम में 2017 में डोकलाम में दोनों देशों के बीच सैन्य तनातनी से उत्पन्न हालात को सामान्य बनाया गया था। डोकलाम में 28 अगस्त, 2017 में दोनों देशों की सेनायें पीछे हटी थीं, जिसके बाद ब्रिक्स शिखरवार्ता के दौरान 5 सितंबर को मोदी और शी के बीच बैठक संभव हो पाई थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच द्विपक्षीय बैठक के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी है। यदि समरकंद में ये दोनों नेता मिलते हैं तो पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में जून 2020 में हुए सैन्य संघर्ष के बाद यह पहली बैठक होगी। हालांकि दोनों नेता ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए भाग ले चुके हैं।