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प्रदेश सरकार ने की बाइकबोट घोटाले के सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश

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सीबीआई

बाइकबोट घोटाले से संबंधित सभी मामलों की जांच सीबीआई करेगी। प्रदेश सरकार ने इसकी सिफारिश  केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से की है। सीबीआई से जांच कराए जाने के लिए राज्य सरकार की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में बाइक बोट से संबंधित 118 मामले दर्ज हैं। इसमें से 11 मामलों की जांच पहले से सीबीआई कर रही है। बाकी 107 मामलों की जांच उत्तर प्रदेश की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है। लगभग 4500 करोड़ रुपये के इस घोटाले से संबंधित एफआईआर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में भी दर्ज हुई थी।

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में बाइक बोट घोटाले से जुड़ी कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में आदेश पारित करते हुए कहा था कि विभिन्न राज्यों में बाइक बोट से संबंधित सभी पंजीकृज एफआईआर को थाना दादरी, जिला गौतमबुद्घनगर पर दर्ज एफआईआर संख्या 206/2019 को प्रिंसिल एफआईआर मानते हुए वहीं शेष एफआईआर को भी समाहित कर एक कंपोजिट चार्जशीट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतमबुद्घनगर के यहां दाखिल की जाए।

क्योंकि दादरी में दर्ज उक्त मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रहा था, इस लिए सुप्रीमकोर्ट के आदेश के क्रम में सीबीआई ने भी अपने यहां दर्ज 11 मुकदमे उत्तर प्रदेश की ईओडब्ल्यू को वापस कर दिए। इसी आदेश के तहत दूसरे राज्यों के भी मामले उत्तर प्रदेश को स्थानांतरित किए जाने लगे। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने संसाधनों और अपने सीमित कार्यक्षेत्र का हवाला देते हुए किसी राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी से इन सभी मामलों की विवेचना कराए जाने का अनुरोध शासन से किया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुमोदन के बाद बृहस्पतिवार को प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश निर्धारित प्रोफार्मा में डीओपीटी को भेज दिया। बाइक बोट से जुड़े मामलों की जांच प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है। इस मामले में बीते साल प्रवर्तन निदेशालय ने इस घोटाले से जुड़े लोगों के यहां छापे भी मारे थे।

फंसेगी कई बड़ों की गर्दन
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कई बड़ों की गर्दन फंस सकती है, इसमें कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने आरोपियों को बचने का पूरा मौका दिया। जो लोग घोटाले में सीधे तौर पर शामिल थे, उन्हें न सिर्फ बचाने का प्रयास किया गया बल्कि बचने के रास्ते भी बताते रहे। सूत्रों का यह भी कहना है कि जांच एजेंसी से जुड़े कुछ अधिकारी इस केस से मालामाल हो गए। इन अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार की किसी एजेंसी से आय से अधिक संपत्ति की जांच कराए जाने की तैयारी भी की जा रही है।

क्या है पूरा घोटाला
मेसर्स गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2018-19 में बाइक बोट स्कीम चलाई। इस स्कीम के तहत निवेशकों को लालच दी गई कि बाइक के लिए 62100 रुपये लगाने थे। इसके बदले प्रति माह 9765 रुपये 12 माह तक मिलेगा। यह भी लालच दी गई कि एक से अधिक 3, 5 या 7 बाइक के लिए निवेश करने पर बोनस भी दिया जाएगा। कंपनी ने इसका जमकर प्रचार प्रसार किया। देश भर के लगभग ढाई लाख निवेशकों ने साढ़े चार हजार करोड़ रुपये कंपनी के बैंक खाते व कंपनी के कार्यालय में कैश के रूप में जमा किए गए। शर्तों के अनुरूप जब राशि नहीं मिली तो निवेशकों ने शिकायत शुरू की। इस बीच कंपनी भी अपने कार्यालय के दफ्तर पर ताला लगाकर फरार हो गई।

27 लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी, 3 पर है पांच-पांच लाख रुपये का इनाम
इस मामले में ईओडब्ल्यू अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें एमडी संजय भाटी, अतिरिक्त निदेशक राजेश भारद्वाज व विनोद कुमार और मास्टरमाइंड बद्रीनाथ तिवारी का नाम शामिल है। इसके अलावा दीप्ती बहल, भूदेव और बिजेंद्र सिंह हुड्डा पर शासन स्तर से पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित है। 

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