कोरोना काल में जान गंवाने वाले 180 में से लगभग सवा सौ पुलिसकर्मियों के परिजनों को साल भर बाद भी मुआवजा नहीं मिल सका है। इसमें शासन का सख्त नियम आड़े आ रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे पुलिसकर्मियों को मुआवजे के लिए पात्र ही नहीं माना गया है।
दरअसल पुलिसकर्मियों ने कानून-व्यवस्था से लेकर लॉकडाउन तक पालन कराने के लिए जान जोखिम में डालकर काम किया था। इसमें बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमित हुए। इनमें से कुछ की मौत हुई तो घोषणा की गई कि कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
कोरोना की पहली लहर में संक्रमित होने के बाद लगभग 90 पुलिसकर्मियों की जान गई। पर परिजनों को मुआवजा हासिल करने के लिए कुछ ऐसी शर्तें रख दी गईं, जिन्हें पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है।
मसलन जिस पुलिसकर्मी की मौत हुई उसकी रवानगी जीडी में दर्ज है या नहीं? जीडी में अगर ड्यूटी के लिए रवानगी दर्ज नहीं है तो संबंधित पुलिसकर्मी के परिजनों को मुआवजा हासिल करने में दिक्कत आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि मुआवजे का दावा करने वाले मृतक पुलिसकर्मियों के परिजनों के 50 से अधिक आवेदन शासन स्तर पर निरस्त हो चुके हैं। वहीं कई मामले शासन स्तर पर अब भी लंबित हैं। शासन के अलावा जिलाधिकारी स्तर पर भी डेढ़ दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं।