लखनऊ के चारबाग में अवैध तरीके से बने होटल विराट और एसएसजे इंटरनेशनल में अग्निकांड और उसमें मासूम समेत सात लोगों की मौत की जांच 50 महीने में पूरी हो पाई। इसमें दोषी पाए गए एलडीए के 16 इंजीनियरों पर कार्रवाई के बजाय महज आरोप पत्र देकर सफाई मांगी गई है। इनमें से कई तो अब भी अहम पदों पर काबिज हैं। ऐसे में सवाल है कि जिनकी शासन में ‘सेटिंग’ है, उन्हें सजा कैसे मिल पाएगी।
इसे लेकर प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण का कहना है कि चारबाग की घटना में दोषी पाए गए सभी इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें चार्जशीट दे दी गई है। किसी भी इंजीनियर को सफाई मांग छोड़ा नहीं गया है। जहां तक कार्रवाई में विलंब होने की बात है, वह इसलिए होती है कि संबंधित विकास प्राधिकरणों की ओर से जो प्रस्ताव शासन को भेजा जाता है, उसमें कागजी कार्रवाई अधूरी होती है।
कारनामों की जांच का पता नहीं
वजीरगंज में पूर्व सांसद का अवैध अपार्टमेंट, लालबाग का ड्रैगन मॉल, प्र्राग नरायन रोड का यजदान अपार्टमेंट व मड़ियांव के अवैध नर्सिंगहोम को जिन प्रवर्तन इंजीनियरों ने कारनामा करके बनवाया, उनकी जांच का अता-पता नहीं है। प्राधिकरण के अफसरों को भी इसके बारे में नहीं पता है। यजदान अपार्टमेंट को नजूल की जमीन पर खड़ा कराने में एक जेई की अहम भूमिका है, जो लेवाना सुइट्स अग्निकांड में फिर फंस गया है।
ये पहले से दोषी, अब फिर बने आरोपी
अधिशासी अभियंता अरुण कुमार सिंह (सेवानिवृत्त), ओम प्रकाश मिश्रा (सेवानिवृत्त), सहायक अभियंता ओम प्रकाश गुप्ता, अवर अभियंता अनिल मिश्रा, रवीन्द्र श्रीवास्तव होटल विराट एवं एसएसजे इंटरनेशनल को अवैध रूप से बनने में लापरवाही के लिए दोषी मिले थे। इन्हें आरोप पत्र भी मिल चुका है। अब यही इंजीनियर होटल लेवाना सुइट्स के बनने में लापरवाही बरतने के आरोपी बने हैं।
चारबाग होटल : ये 16 दोषी
होटल लेवाना सुइट्स: ये 22 आरोपी
जोनल अधिकारी/ अधिशासी अभियंता अरुण कुमार सिंह (सेवानिवृत्त), ओम प्रकाश मिश्रा (सेवानिवृत्त), अधीक्षण अभियंता जहीरूद्दीन, कमलजीत सिंह सहायक अभियंता ओम प्रकाश गुप्ता, राकेश मोहन, राधेश्याम सिंह, विनोद कुमार गुप्ता, अमर कुमार मिश्रा, नागेन्द्र सिंह, इस्माइल खान, अवर अभियंता राजीव कुमार श्रीवास्तव जेएन दुबे, जीडी सिंह, रवीन्द्र श्रीवास्तव, उदयवीर सिंह, मो. इस्माइल खान, अनिल मिश्रा, पीके गुप्ता, सुशील कुमार वर्मा, अम्बरीश शर्मा व रंगनाथ सिंह की लापरवाही पाई गई। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई।
प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष पॉवरलेस
प्रदेश के प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों के पास अवर अभियंता तक को निलंबित करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में सहायक, अधिशासी, अधीक्षण अभियंता को निलंबित करना तो बहुत दूर की बात है। उपाध्यक्ष अवर अभियंता को निलंबित करने की सिफारिश शासन को भेजता है। वहां इस पर समय से कार्रवाई नहीं होती, इसीलिए अवैध निर्माण ही नहीं भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर है।