शिक्षक दिवस पर हरियाणा को गौरव बनी प्राध्यापिका अंजू दहिया
भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने किया सम्मानित
हरियाणा प्रदेश को गौरव का अहसास करवाने वाली सोनीपत निवासी प्राध्यापिका अंजू दहिया को शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन किया और उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार सम्मानित होने वाली अंजू दहिया हरियाणा की एकमात्र प्राध्यापिका हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कौशल्या आर्य ने प्राध्यापिका अंजू दहिया को इस मुबारक मौके पर बधाई दी है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, बड़वासनी में रसायन शास्त्र विषय की प्राध्यापिका अंजू दहिया का चयन करने का आधार उसकी रसायन शास्त्र विषय को आसान बनाने और बेहतर परिणाम देने को लेकर किये सराहनीय कार्य को आधार बनाया गया है। उन्होंने इस विष में प्ले वे मेथड को शामिल किया और खेल व कविता जैसी गतिविधियों के साथ आसान बनाया है। इससे विद्यार्थी पढ़ने के साथ समझते भी और गतिविधियों से विषय को समझने के बाद याद रख पाते हैं।
प्राध्यापिका अंजू दहिया सोनीपत के सेक्टर-23 निवासी हैं। एक सवाल के जवाब में बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई के साथ अभिनव का प्रयोग करती रही। हमेशा कुछ नया करने की इच्छा जागृत होती इस उसने चिंतन, मनन, मंथन किया और शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों की समस्या को समझने का प्रयास किया। शिक्षा में नीरसता ना मिले शिक्षा रुचिकर लगे जिससे समाधान विद्यार्थियों के साथ बातचीत कर विषय को सरल बनाया। रसायन शास्त्र जैसे विषय में कविता व खेल गतिविधियों काे शामिल किया।
एक पहल की गई कि विधार्थियों को प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता करवाई गई, बच्चों को प्रेरित किया गया। इसके बेहतर परिणाम आने लगे। जिन विद्यार्थियों ने खेल खेल में सीखा उनके मस्तिष्क पटल पर स्मरण रहा। उनकी विषय में रुचि बढने लगी। उन्हें कठिन विषय भी आसान लगने लगा। प्राध्यापिका अंजू दहिया और उनके पति मनीष दहिया दोंनों ही शिक्षक हैं। प्राध्यापिका अंजू ने 2013 में शिक्षा विभाग ने पीजीटी रसायन शास्त्र के पद से अपनी शिक्षण सफर को आरंभी किया वर्ष 2014 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बड़वासनी में उनका तबादला हुआ। तब से अब तक वह इसी स्कूल में सेवारत हैं।
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उज्बेकिस्तान में 15 दिन तक रही
अंजू दहिया ने उज्बेकिस्तान में 15 दिन रहकर भारतीय शिक्षा व्यवस्था का प्रचार प्रसार किया। विदेश में भारतीय शिक्षा व्यवस्था के बारे में प्रेरित किया। शोध पत्र भी प्रस्तुत किए। बच्चों को खेल-खेल में जोड़ कर गतिविधियों के साथ पढ़ाया जाए। लॉकडाउन में ऑफलाइन कक्षा नहीं लग रह थी। बच्चों से जुड़ा रहने के लिए विषय की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने शुरु किये। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए क्यूआर कोड बनाया। इससे प्रदेश भर में विद्यार्थी वीडियो से अपने संदेह को देखने लगे।
अंजू दहिया के जीवन का सफर और नित नये आयाम
अंजू दहिया को जो एलटीसी की राशि मिलती उसको उसने स्कूल में सुविधाएं बढ़ाने पर लगाई। ग्रामीणों को जागरुक किया। बच्चों के साथ पर्यटक स्थलांे पर जाना और बच्चों को उनके बारे में जानकारी देकर ज्ञानवधन करना। विधार्थियों से चर्चा करके उनकी समस्याओं का समाधान करना उनकी विशेषता रही है। इन्हांेने पर्वतारोही का प्रशिक्षण लिया था। विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण पर जाने से पहले प्रशिक्षित करना। स्कूल में प्रदर्शनी लगवाना, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता करवाना अंजू दहिया को आम से खास बनाता है।