Search
Close this search box.

ज्ञान की रोशनी से भविष्य उज्ज्वल कर रहे बनारस के ये शिक्षक

Share:

छात्रों की जिंदगी में उजाला करने में जुटे बनारस के ये शिक्षक

गुरु, इन दो अक्षरों में पूरी दुनिया सिमटी है। जीवन के हर मोड़ पर व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता है। सीखने की यह ललक किसी में होती हैं तो किसी को इसके लिए प्रेरित भी करना पड़ता है। इन दोनों तरह के लोगों के अंतर्मन को ज्ञान की लौ से रौशन करने वाले शख्स को ही गुरु कहते हैं।

गुरु ऐसे भी होते हैं, जो सिर्फ स्कूल की ड्यूटी तक ही सीमित नहीं होते, बल्कि उससे इतर भी शिक्षा के साथ सभ्य समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। पढ़ा-लिखाकर भविष्य संवारते हैं। पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको ऐसी ही शख्सियतों से रूबरू करा रहे हैं।


सेवानिवृत्ति के बाद भी बच्चों से नहीं तोड़ा नाता
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं आरती भाटिया को वंचित वर्ग के बच्चों को पढ़ाने की ऐसा जुनून था कि उन्होंने डॉक्टरी छोड़कर शिक्षक बनकर सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चों के जीवन को संवारने का बीड़ा उठाया। दोनों पैरों से लाचार आरती सेवानिवृत्ति के बाद भी संविलियन विद्यालय छित्तूपुर जाकर बच्चों को पढ़ाने के साथ ही संस्कार सिखा रही हैं। आरती ने अपने घर में ‘बाबा की पाठशाला’ भी बनाई है, जिसमें हर शाम ऐसे बच्चे जुटते है, जिनके बाद संसाधन नहीं हैं। 

सफलता की राह में मददगार बन रहे अजय


आराजीलाइन ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय लहिया में सहायक अध्यापक अजय सिंह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को सफलता की राह दिखा रहे हैं। नवोदय विद्यालय में प्रवेश की परीक्षा हो या फिर विद्याज्ञान की या फिर राष्ट्रीय आय छात्रवृत्ति परीक्षा, अजय स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ ही ऑनलाइन तैयारी कराते हैं। हाल ही में अजय की कक्षा में पढ़ने वाली आटो चालक की बेटी का प्रवेश विद्याज्ञान स्कूल में हुआ है। साल 2021 में भी अजय के एक छात्र ने नवोदय विद्यालय की परीक्षा उत्तीर्ण कर थी। बच्चों को संसाधन मुहैया कराने के लिए अजय सामाजिक संस्थाओं से भी मदद लेते हैं।

सुपर 30 की तर्ज पर युवाओं की पहल

दीप 30 के वीरभद्र सिंह
सुपर 30 की तर्ज पर काशी के युवाओं ने दीप 30 के नाम से एक अभियान चलाया है। युवाओं ने इससे गरीब और प्रतिभावान छात्रों की मदद करने का संकल्प लिया है जो भविष्य में आईएएस, पीसीएस या दूसरे क्षेत्रों में अपना कॅरिअर बनाना चाहते हैं। इस पहल में आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर समेत कई शिक्षाविदों का भी साथ मिल रहा है। वीरभद्र सिंह, विनीत सिंह, शुभम मिश्रा और रश्मि सिंह बीएचयू में अलग-अलग विभागों में पढ़े और अब सिविलि सर्विसेज की तैयारी करते हैं। ये युवा न सिर्फ खुद तैयारी कर रहे हैं बल्कि ऐसे छात्रों की मदद भी कर रहे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

दिव्यांग की जिंदगी में भरा शिक्षा का उजाला

प्रधानाचार्य प्रीति त्रिवेदी
पिंडरा ब्लॉक के नेहिया गांव निवासी श्वेता दूबे के जीवन में शिक्षक प्रीति त्रिवेदी ने न सिर्फ आत्मविश्वास भरा बल्कि शिक्षा का उजाला भी किया। स्कूल की दहलीज पर पांव रखते ही बीमारी के कारण अपने आंखों की रौशनी खो चुकी श्वेता को कभी नहीं लगा था कि वो दसवीं की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर सकेंगी।

लेकिन कंपोजिट विद्यालय महमूरगंज में कार्यरत प्रधानाध्यापक प्रीति द्विवेदी ने उसे फोन पर ऑडियो के माध्यम से पढ़ाकर उसके अंधेरे जीवन में उम्मीद की एक किरण दे दी है। प्रीति बताती हैं श्वेता के अंदर पढ़ाई की ललक देखकर ही शिक्षा विभाग में कार्यरत जिला समन्वयक ने उसका दाखिला कस्तूरबा विद्यालय में करा दिया था।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news