
दरअसल, हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान राम गोपाल वर्मा ने कहा, ‘केजीएफ चैप्टर 2 और द कश्मीर फाइल्स दो ऐसी फिल्में हैं, जिन्होंने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। ये दोनों ही फिल्में एक-दूसरे से अलग हैं। ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक बहुत ही स्लो फिल्म है, जिसे एक ऐसे डायरेक्टर ने बनाया है, जिसे बॉलीवुड ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन इसके बाद भी यह फिल्म 250 करोड़ रुपये कमाने में कामयाब हो गई। ‘केजीएफ 2′ का भयावह सच यह है कि बॉलीवुड में किसी को भी यह फिल्म पसंद नहीं आई। जब कोई फिल्म आपको पसंद नहीं आती और वो अच्छी कमाई करती है, तो आप कंफ्यूज हो जाते हैं कि क्या करना चाहिए।’

इसके आगे उन्होंने कहा, ‘एक बहुत बड़े डायरेक्टर ने मुझसे कहा कि रामू, मैंने तीन बार इसे देखने की कोशिश की, लेकिन मैं आधे घंटे भी इसे नहीं झेल पाया। इसके बाद वह अपनी अगली फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम करने लगे। एक सीन पर बहस करते हुए उनके स्क्रिप्ट राइटर ने तर्क दिया कि इस तरह के सीन ने केजीएफ – चैप्टर 2 में पसंद किए गए हैं।’ वर्मा ने कहा कि हॉलीवुड में एक लाइन है कि आप कंटेंट पर बहस कर सकते हैं, लेकिन आप सफलता के साथ बहस नहीं कर सकते। इसलिए आपको यह पसंद आया या नहीं, इससे आप सफलता को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्होंने हंसते हुए कहा कि केजीएफ – चैप्टर 2 बॉलीवुड पर भूत की तरह मंडरा रहा है।

केजीएफ चैप्टर 2 को लेकर राम गोपाल वर्मा कहते हैं कि इस फिल्म की कहानी जमीन से जुड़ी हुई है। यह 70 के दशक की अमिताभ बच्चन के समय की फिल्मों की तरह है। यह मेरे पास मां टाइप वाली फिल्म है। प्रशांत नील ने इसे सबसे अवास्तविक तरीके से संभव बनाया है। ‘बड़ी मां’ का सीन याद है? वह मशीन गन से फायरिंग कर रहा है, ऐसे में जीप हवा में क्यों उठेगी? क्या कोई जवाब दे सकता है (हंसते हुए)? लेकिन इस पर सवाल पूछना मेरी मूर्खता है। मैं यही बताने की कोशिश कर रहा हूं।

राम गोपाल वर्मा ने कहा, ‘कश्मीर फाइल्स अब तक की सबसे धीमी फिल्म थी। यह फिल्म निर्माताओं के रूप में हमने जो कुछ भी नहीं बनाया है, उसके खिलाफ जाता है। कोई स्क्रिप्ट नहीं है, आप इसे देखकर नहीं बता सकते कि लीड और सेकंड लीड कौन है। इसमें न ही तो इंटरवल है और न ही क्लाइमेक्स है। लेकिन फिर भी लोग इस पर गदगद हो रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि पिछले 20 वर्षों में, किसी ने भी द कश्मीर फाइल्स जैसे गंभीर फिल्म देखी होगी।’

