ऐतिहासिक आर्थिक संकट से त्रस्त श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहारा मिला है। पिछले तीन महीने से चल रही कोशिशों और आईएमएफ टीम के श्रीलंका दौरे के बाद प्रारंभिक समझौते के तहत श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर का कर्ज मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
आजादी के बाद से श्रीलंका इस समय सर्वाधिक गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा है। देश के पास विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गयी है। इस कारण श्रीलंका में आवश्यक वस्तुओं का आयात तक रुक गया है। आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका ने भयावह राजनीतिक संकट भी देखा है, जिसमें न सिर्फ राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के आवासों पर आंदोलनकारियों ने कब्जा कर लिया, बल्कि उनके दबाव में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पद तक छोड़ने पड़े।
आर्थिक संकट से निपटने के लिए श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद की गुहार लगा रहा था। आईएमएफ की टीम तीन माह में दो बार श्रीलंका का दौरा कर चुकी है। पिछले कुछ दिनों से दूसरे दौर की चर्चा में जुटे आईएमएफ के अधिकारियों ने ऋण स्थिरता बहाल करने के उपायों पर पूरा जोर दिया। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने आईएमएफ टीम के साथ बैठक में देश में आर्थिक रूप से कमजोर समूहों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया था।
आईएमएफ के वार्ता पैनल के प्रमुख पीटर ब्रेउर ने कहा कि उनकी टीम ने सरकार, विपक्ष और अन्य दलों के साथ चर्चा की और वाशिंगटन में मुख्यालय को तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट भेजी। आईएमएफ के प्रतिनिधियों ने ऋण पुनर्गठन और आर्थिक पुनरुद्धार की योजना तैयार करने में कमजोर समूहों के लिए सुरक्षात्मक उपाय करने के बारे में तथ्यों को भी समझाया। इसके बाद आईएमएफ और श्रीलंका के अधिकारियों के बीच 2.9 अरब डॉलर कर्ज पर सहमति बनी। इस कर्ज की अवधि 48 माह निर्धारित की गयी है।