देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन मोड में काम करने के लिए इंवेस्टीगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज (आईटीएसएसओ) संचालित है। इसके तहत बालिकाओं (पॉक्सो एक्ट के केस) और महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के मामलों की निगरानी की जाती है।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के 40 फीसदी केसों में समय से जांच पूरी नहीं हो रही है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस तरह के मामलों में 60 दिन के भीतर जांच पूरी हो जानी चाहिए। इसलिए जिन मामलों में समय से चार्जशीट दाखिल नहीं हो पा रही है, उनमें संबंधित अफसरों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (एसीआर) में इसे दर्ज करने का केंद्र ने सुझाव दिया है।
देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन मोड में काम करने के लिए इंवेस्टीगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज (आईटीएसएसओ) संचालित है। इसके तहत बालिकाओं (पॉक्सो एक्ट के केस) और महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के मामलों की निगरानी की जाती है। इससे संबंधित बीते एक अप्रैल से चार अगस्त तक के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं।
इसके अनुसार यूपी में महिला यौन उत्पीड़न के 40.02 प्रतिशत मामलों में दो महीने के भीतर जांच पूरी नहीं की गई। आंकड़े यह भी बताते हैं कि इस चार महीने और चार दिन के भीतर 41.27 प्रतिशत मामले ऐसे रहे जिनकी जांच पूरी नहीं हुई।
समय से जांच का प्रतिशत 90 तक पहुंचाएं
सूत्रों के मुताबिक यह मामला 22 अगस्त को भोपाल में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी उठा था। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि राज्यों में महिला अपराधों में जांच समय से पूरी होने का प्रतिशत 90 तक पहुंचना चाहिए। जहां लापरवाही मिल रही है, वहां अफसरों की एसीआर से इसे जोड़ने के लिए भी कहा। बैठक में रखे गए आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में महिला अपराधों के 38.74 प्रतिशत मामलों, उत्तराखंड में 39.5 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 61.75 प्रतिशत मामलों में दो माह के भीतर जांच पूरी नहीं की गई।