दिल्ली हाई कोर्ट आज अफ्रीकी हाथी शंकर को छुड़ाने की मांग पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। 6 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि वो अफ्रीकी हाथी शंकर को भारत से बाहर शिफ्ट करने की अनुमति नहीं देगा।
कोर्ट ने सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को निर्देश दिया था कि वो अफ्रीकन हाथी के रखरखाव की तहकीकात के लिए दिल्ली के चिड़ियाघर का निरीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करे। रिपोर्ट में यह भी बताएं कि क्या शंकर को देश के किसी दूसरे चिड़ियाघर में पुनर्वासित किया जा सकता है। प्रशासन इस बात की संभावना तलाशे कि क्या शंकर की उम्र का कोई अफ्रीकी मादा हाथी भारत लाया जा सकता है।
यह याचिका यूथ फॉर एनीमल्स की संस्थापक निकिता धवन ने दायर की है। कोर्ट ने जनवरी में याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के अलावा नेशनल जूलॉजिकल पार्क और सेंट्रल जू अथॉरिटी को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका में कहा गया है कि शंकर और बोम्बई नामक अफ्रीकी हाथियों के जोड़े को जिम्बाब्वे ने 1998 में भारत को उपहार दिया था। खराब व्यवस्था की वजह से बोम्बई का निधन 2005 में हो गया। उसके बाद शंकर अकेला हो गया।
याचिका में सूचना के अधिकार के एक जवाब का उल्लेख करते हुए कहा कि शंकर को प्रतिदिन 17 घंटे तक दोनों पैरों में जजीरें बांधकर रखा जाता है। उसके साथ क्रूरता से पेश आया जाता है। इसलिए शंकर को नेशनल जूलॉजिकल पार्क से छुड़ाने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में सेंट्रल जू अथॉरिटी के 2009 के उस सर्कुलर का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि हाथियों को चिड़ियाघरों में प्रदर्शनी के लिए प्रतिबंधित किया गया है। सेंट्रल जू अथॉरिटी ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि किसी हाथी को छह महीने से ज्यादा समय तक अकेले में नहीं रखा जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि शंकर के बाड़े से महज सौ मीटर की दूरी पर कई रेलवे ट्रैक हैं। इसकी वजह से वह काफी परेशान हो जाता है।