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खतरे की ओर गंगा की दस्तक, तटवर्ती भयभीत

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गाजीपुर, वरिष्ठ संवाददाता। गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी ने तटवर्ती गांव के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कई डैम से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े...

वरिष्ठ संवाददाता। गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी ने तटवर्ती गांव के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कई डैम से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गंगा में बाढ़ की सम्भावना है। इसको लेकर जिला प्रशासन अलर्ट मोड में है। 23 अगस्त को ढोलपुर डैम से 18,31,587 क्यूसेक और माता टाला डैम से 384,954 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। गंगा नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। डीएम ने संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील बाढ़ चौकियों को क्रियाशील कराकर उसपर तैनात राजस्व विभाग और अन्य विभाग के कर्मचारियों को सर्तक रहने का निर्देश दिया है।

गाजीपुर में पिछले दो दिन तक गंगा का जलस्तर कम होने से तटवर्ती इलाकों में राहत रही। गुरुवार को एक बार फिर पानी बढ़ने से लोगों की चिंता बढ़ गई। गंगा चेतावनी बिंदु पारकर खतरे का निशान पार करने को आतुर हैं। एक सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से पानी चढ़ रहा है। जलस्तर गेज के ऊपर चढ़ता जा रहा है। पानी घाटों को छोड़कर रिहायशी इलाकों और खेतों की तरफ बढ़ रहा है। घाट की सीमाएं लांघकर कई सड़कों पर गंगा के पानी ने दस्तक भी दे दी है। सड़कें जलमग्न होकर आवागमन के लिए खतरनाक हो गई हैं। वहीं सैकड़ों बीघा खेतों में पानी भरने से खेत और फसलें भी उसकी आगोश में आ गए हैं। हालात केवल शहरी इलाकें में नहीं बल्कि ग्रामीणों इलाकों में ज्यादा परेशानी भरे होने वाले हैं, इससे तटवर्ती गांवों में दहशत का आलम भी है।

मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से बांधों के जलाशयों के पूरा भरने के बाद पानी का डिस्चार्ज अब गाजीपुर में गंगा का जलस्तर बढ़ा रहा है। यमुना में बढ़ते पानी से गंगा का जलस्तर बुधवार को तेजी से बढ़ा। घाट पर चढ़ने के साथ पानी एक से दो सेमी प्रतिघंटे बढ़ा लेकिन चेतावनी बिंदु पारकर हर घंटे खतरे के निशान तक दस्तक दे रहा है। एक सप्ताह के घटाव के बाद गंगा के जलस्तर तेजी से बढ़ाव शुरू हो गया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर ने एक बार फिर तटवासियों और ढाब क्षेत्र के लोगों की धड़कनें तेज कर दी हैं। गाजीपुर के प्रमुख घाटों का आपसी संपर्क खत्म हो गया है। घाट के आसपास लगी दुकानों को हटाना पड़ा। केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी बाढ़ बुलेटिन के अनुसार बुधवार शाम आठ बजे गंगा का जलस्तर 62.900 मीटर पहुंच गया, जो खतरे के निशान 63.105 मीटर से कुछ दूरी पर रह गया है।

केंद्रीय जल बोर्ड के अनुसार एक सप्ताह पहले पानी की रफ्तार तेज होने के बाद दिन चढ़ने के साथ ही गंगा के बढ़ाव की रफ्तार थोड़ी-थोड़ी कम होने लगी थी लेकिन पिछले 100 घंटे से गंगा में बढ़ाव निरंतर बना हुआ है। इन घंटों में गंगा के जलस्तर में लगभग चार मीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। गंगा के पानी ने गांवों में दस्तक दे दी है और गंगा के आसपास के तमाम इलाके, सड़कें, खेत जलमग्न हो गए हैं। क्षेत्र के तटवर्ती इलाकों के खेतों में नदी का पानी पहुंच चुका है। इसके साथ ही घाटों के ऊपर पानी चढ़ने लगा है और गंगा में नौकाओं का संचालन बंद कर दिया गया है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से शहर के मोहल्ले में भी बाढ़ की आशंका हो गई है। ग्रामीण इलाकों के कई गांव में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। सैकड़ों बीघा फलजलमग्न हो गई है तो खेतों में पानी लग गया है। गंगा खतरे का निशान पार करेंगी तो लगभग सौ गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाएगा और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा। जिला प्रशासन की ओर से तटीय क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही प्रशासनिक अधकिारियों को बोट और मोटर बोट भी लगा दी गई है।

कामाख्या धाम मार्ग को जाने वाली सड़क पर बाढ़ का पानी बढ़ने से अब आवागमन पूरी तरह बंद हो गया। मार्ग जलमग्न होने के बाद वाहनों को निकालना खतरे से खाली नहीं है। हसनपुरा के दलित बस्ती में भी शनिवार दोपहर बाढ़ का पानी घुस गया था जिसे बाद लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। सोमवार को गांव में पानी का प्रवाह अधिक हो गया। इसके अलावा आसपास की सैकडा भर से अधिक फसल डूब गई। केला, टमाटर, परवल, मिर्च को अधिक नुकसान होगा।

श्मशान घाट पर पानी, ग्रामीणों की परेशानी

गाजीपुर में शहर से लेकर देहात तक मुख्यता अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए स्थल और श्मशान घाट डूब ही चुके हैं, साथ ही वो सड़क भी डूब चुकी है, जिससे होकर लोग घाट तक जाते हैं। पानी बढ़ने से अंतिम संस्कार इस समय बेहद मुश्किल हो गया है। जलस्तर के बढ़ने की रफ्तार अगर यही रही तो अगले दो-तीन दिनों में गंगा और गोमती नदी के तटवर्ती इलाकों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों में अभी से चिंता बढ़ने लगी है।

तटवर्ती इलाकों में मवेशियों की मुसीबत

गाजीपुर। गंगा, कर्मनाशा, गोमती, गांगी, मगई और बेसो नदियों के किनारे क्षेत्रों के लोग बाढ़ से निपटने की तैयारी में जुट गए हैं। इन क्षेत्रों में मवेशियों के लिए चारे और रहने का संकट खड़ा होने लगा है। गांव के बाहर मंदिर और खलिहान समेत कई स्थल डूब गए। ग्रामीण खेतों से अपनी सब्जी, फसल और पशुओं के हरे चारे की कटाई तेजी से करने लगे हैं। खेतों के डूबने से पहले फसल जितनी बचाई जा सके इसकी कोशिश की जा रही है। नदी का जलस्तर ज्यादा बढ़ने पर अभी खेतों में नदी का पानी पहुंचने लगा है। जो इसमें बोई गई फसलों को धीरे धीरे डुबाता जा रहा है। रेवतीपुर समेत आसपास के कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को पिछली बार की तरह इस बार भी भारी नुकसान का डर सताने लगा है। गंगा एक से दो दो सेमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं।

गंगा के साथ गोमती का भी रौद्र रूप

सैदपुर। क्षेत्र में गंगा और गोमती नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी के बीच दोनों नदियों ने चेतावनी बिंदु पार कर दिया है। गोमती तो खतरे के निशान के करीब से बह रही हैं। इसके साथ ही ग्रामीण तटवर्ती इलाकों के खेतों से अपने सिंचाई के लिए रखे गए इंजन, बांस, बल्ली आदि उखाड़ कर, ऊंचाई की तरफ पलायन करने लगे हैं। उप जिलाधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। नदियों के तटीय इलाकों के लेखपाल को स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए सचेत कर दिया गया है।बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के गौरी, तेतारपुर, गौरहट, गोरखा, कुसहीं, खरौना, हथौड़ा, पटना, छपरा, मंझरिया आदि गांव के लेखपालों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

बाढ़ चौकी और राहत केंद्र से रखी जाएगी नजर

रेवतीपुर। गंगा के बढ़ते जल स्तर से आबादी के लोगों को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए बाढ़ चौकी और राहत केंद्र से नजर रखी जाएगी। बाढ़ चौकी और राहत केंद्र पर 24 घंटे शिफ्ट वार कर्मचारियों की तैनाती की गई है। पशुओं के लिए चारा व पर्याप्त मात्रा में राहत पैकेट का बंदोबस्त किया गया है। पशु चिकित्सक एवं आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लोगों को आवश्यक दवाओं के वितरण करने का निर्देश दिया गया है।

एसडीएम ने कटान का जाना हालात

भांवरकोल। मुहम्मदाबाद एसडीएम डॉ. हर्षिता तिवारी ने आसपास के डेरे के लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा। बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए कुल तीन पुनर्वास केंद्र एवं कुल 18 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। जहां पर लेखपालों की तैनाती कर दी गई है। बाढ़ से निपटने के लिए कुल 94 नावों की व्यवस्था की गई है। इसमें 17 बड़ी नाव 13 मझली नाव तथा 64 छोटी नाम की व्यवस्था कर ली गई है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए राशन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी गई है।

जलस्तर की स्थिति : दो सेमी प्रतिघंटे की बढ़ोतरी

आज गंगा का जलस्तर 62.900 मीटर

61.550 मीटर, चेतावनी बिंदु

63.105 मीटर, खतरा बिंदु

65.220 मीटर, उच्च बाढ़

वर्ष 2021 बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.680 मीटर

वर्ष 2019 बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.530 मीटर

 

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