श्रावण के बाद अब भाद्रपद में भी अच्छी बारिश के कारण प्रदेश में सामान्य से 60 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। इससे आमजन को गर्मी और उमस से राहत मिली है। प्रदेश के टोंक, कोटा, झालावाड़ , भीलवाड़ा, बारां, धौलपुर सहित अन्य जगहों पर बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। आमजन को जलभराव के बीच सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ द्वारा रेसक्यू किया जा रहा है। वहीं झालावाड़, सिरोही, उदयपुर और जालौर में स्कूल, कॉलेज की छुटि्टयां की गई है।
राजस्थान में सक्रिय नया मौसमी तंत्र आफत बनकर बरस रहा है। दो दिन से लगातार हो रही भारी बारिश से कई जिलों में बाढ़ आ गई। गांव के गांव पानी में डूबे हैं। हजारों लोग फंसे हैं। हालात से निपटने के लिए एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स), एसडीआरएफ(स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स) और सेना की टीमें जुटी हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दोपहर में झालावाड़, बारां में बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे करेंगी। प्रदेश में सोमवार-मंगलवार को 14 जिलों में लगातार बारिश हुई है। सबसे ज्यादा झालावाड़ में 11.3 इंच पानी बरसा है। जयपुर में मंगलवार को दिनभर बारिश होती रही। इन दो दिनों में ही छह बांधों के गेट खोलकर पानी निकालना पड़ा है। 33 में से 26 जिलों में अब तक औसत से करीब 20 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।
राजस्थान में 22 में से तीन बांध तो 100 फीसदी भर चुके हैं। इसमें बांसवाड़ा का हारो, टोंक का गलवा और प्रतापगढ़ का जाखमबांध शामिल हैं। चित्तौड़गढ़ के राणा प्रताप सागर बांध में 93.68 प्रतिशत, कोटा बैराज में 95.38 और बूंदी के गुढ़ा डैम में 97.18 प्रतिशत पानी आ चुका है। बाढ़ से राज्य के करीब 11 जिले प्रभावित हैं। राणा प्रताप सागर बांध से एक ही दिन में चार लाख 66 हजार क्यूसेक छोड़ा गया। कोटा बैराज के 17 गेट खोले जा चुके हैं और इससे भी 4 लाख 97 हजार क्यूसेक पानी निकाला गया। कोटा शहर के निचले इलाकों में लोग घर छोड़ने को मजबूर हैं।
स्थिति से निपटने और पानी में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पांच जिलों में तैनात हैं। झालावाड़ में सेना की एक यूनिट भी बुलाई गई है। पार्वती और चंबल नदियां उफान पर हैं। कोटा बैराज से पानी छोड़ने के कारण धौलपुर और करौली में स्थिति खराब हो गई।
धौलपुर में चंबल नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है। पूर्वान्ह 11 बजे चंबल का जलस्तर 142. 70 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो खतरे के निशान 129. 79 मीटर से करीब 12 मीटर अधिक है। चंबल के जलस्तर में बढ़ोतरी से चंबल का पुराना सड़क पुल पानी में डूब गया है। शहर के मुक्तिधाम में भी पानी भरा है। आगरा मुंबई नेशनल हाईवे पर बने चंबल के नए सड़क पुल पर यातायात अभी सामान्य है। धौलपुर के राजाखेड़ा में सेना और एसडीआरएफ ने कमान संभाल ली है। प्रभावित इलाकों से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारी प्रभावित इलाकों में कैंप किए हुए हैं।
कोटा में हालात सबसे खतरनाक हैं। चित्तौड़गढ़ में मंगलवार को ही 76.5 मिलीमीटर बारिश ने कहर बरपाया है। इसके अलावा बूंदी, टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा, सिरोही, अंता (बारां), बांसवाड़ा, डबोक (उदयपुर) में बारिश ने आफत खड़ी कर दी है। उदयपुर में तो दिनभर बादल गरजते और बरसते रहे। मौसम विभाग ने बुधवार को जयपुर, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर, जालोर, सिरोही, प्रतापगढ़,उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा जिलों और आस-पास के क्षेत्रों मे कहीं-कहीं पर गरज के साथ हल्की से मध्यम वर्षा का दौर जारी रहने की संभावना जताई। बाड़मेर, जैसलमेर, में कहीं-कहीं आकाशीय बिजली और तेज बारिश के दौर की संभावना जताई गई है। कोटा, धौलपुर और झालावाड़ में हजारों लोग पानी में फंसे हुए हैं, जिन्हें रेस्क्यू करना पड़ रहा है। दो दिन से बारां के छबड़ा क्षेत्र के खुरई, गोड़िया मेहर, बटावदापार से लोगों को एयरलिफ्ट करना पड़ा है। वहीं, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की करीब 20 टीमें प्रदेशभर में तैनात हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर और प्रतापगढ़ में बारिश हो सकती है। गुरुवार को प्रतापगढ़ में बादल छाए रहेंगे। 26 और 27 अगस्त को राज्य में बारिश की संभावना नहीं है। पिछले चौबीस घंटे में सबसे ज्यादा पारा जैसलमेर का गिरा है।, जहां इन दिनों में 36 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान रहता है, लेकिन मंगलवार को 7.2 डिग्री सेल्सियस कम यानी 29.4 डिग्री सेल्सियस पारा रहा। वहीं चित्तौड़गढ़ में भी सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस कम तापमान रहा। राज्य में सबसे गर्म श्रीगंगानगर रहा, लेकिन वहां भी तापमान 36.8 डिग्री सेल्सियस रहा। कोटा में सबसे कम न्यूनतम पारा 22.4 डिग्री सेल्सियस रहा। ये सामान्य से तीन डिग्री कम है।