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महंगाई की दर घटने का दावा, उपभोक्ताओं को नहीं मिली राहत

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महंगाई की दर घटने का दावा, उपभोक्ताओं को नहीं मिली राहत

जून की खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसद से गिरकर जुलाई में 6.71 प्रतिशत पर आ गई है। यह दावा है केंद्र सरकार का, लेकिन बाजार की हकीकत इस दावे को झुठलाती नजर आती है, क्योंकि, खानपान और रोजमर्रा की वस्तुओं में गतवर्ष के मुकाबले 20-30 फीसद की बढ़ोतरी बनी हुई है। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट गढ़बड़ाया हुआ है। इसकी वजह व्यक्ति की आमदनी का स्थिर होना है। दरअसल, रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में लगातार वृद्धि होने से आमजन की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।

यदि वर्तमान और गतवर्ष के औसत दामों की तुलना करें, तो वस्तुओं के दामों में 20 से 30 फीसद की वृद्धि हुई है। क्योंकि, 2021 में खाद्य तेल 90 रुपये लीटर मिल रहा था, जबकि वर्तमान में भाव 130 रुपये लीटर तक पहुंच चुके हैं। इसी तरह दाल 100 रुपये से बढकर 130 रुपये मिल रही है, तो वाशिंग पावडर 60 रुपये से ब?कर 72 रुपये तक पहुंच चुके हैं। इसी तरह पिछले साल तक गाय का दूध 40 रुपये और भैंस का दूध 45 रुपये लीटर मिल रहा था, जो वर्तमान में 50 से 55 रुपये लीटर पहुंच चुका है, हालांकि, सब्जियों के दामों को लेकर उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। जिनके भाव कभी ऊपर चढ़ जाते हैं, तो कभी नीचे आ जाते हैं। गल्ला व्यापारियों के अनुसार 2021 में गेहूं का औसत मूल्य 2000 रुपये था, जो वर्तमान में 2250 रुपये तक पहुंच गया है। इधर, निर्माण सामग्री के दामों में भी उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है।

सीमेंट व्यापारियों की मानें, तो 2021 में एक बोरी 325 रुपये की मिल रही थी, जिसके वर्तमान में भाव 355 रुपये तक पहुंच चुके हैं। इसी तरह पिछले साल सरिया 55 रुपये किलो और दिसंबर 2021 में 83 रुपये किलो तक पहुंच चुका था। हालांकि, वर्तमान में सरिया का भाव 65 रुपये किलो हो चुका है। इससे लोगों को कुछ राहत मिली है।

महंगाई से लागत और खर्च बढ़े, मुनाफा स्थिर

फुटकर किराना व्यापारी पवन राठौर बताते हैं कि महंगाई बढऩे से जहां लागत बढ़ी है, तो मजदूरी व अन्य खर्च भी बढ़ गए हैं। इससे इतर दुकानदारों के मुनाफा में कोई इजाफा नहीं हुआ है। मुनाफा स्थिर है, जबकि लागत अधिक हो गई है। अब यदि महंगाई दर घटने की बात करें, तो इससे आमजन को कोई राहत नहीं मिली है। गल्ला व्यापारी महेश अग्रवाल बताते हैं कि 2021 में गेहूं का औसत भाव 2000 रुपये क्विंटल था, जिसमें अब लगभग 300 रुपये का इजाफा हो चुका है। इसी तरह बिल्डिंग मटेरियल व्यावसायी धर्मेंद्र बांझल बताते हैं कि पिछले साल सरिया का भाव 55 रुपये किलो था, जो दिसंबर तक 83 रुपये तक पहुंच चुका था। लेकिन वर्तमान में सरिया 65 रुपये क्विंटल मिल रहा है।

इधर, गृहणी सीमा किरार बताती हैं कि लगातार बढ़ रहे दामों से रसोई का बजट बिगड़ा हुआ है। यह बात सुनने में अच्छी लगती है कि महंगाई की दर में गिरावट आई है, लेकिन बाजार में पहुंचने पर मालूम चलता है कि आमदनी के मुकाबले महंगाई भारी है, क्योंकि, सब्जी से लेकर रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। दूध से लेकर दाल तक खरीदना मुश्किल हो गया है, क्योंकि, उम्मीद की जा रही थी कि रोजमर्रा और जरूरत की वस्तुओं के दाम कम होंगे, तो कुछ राहत मिलेगी, लेकिन हालात जस के तस हैं।

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