केंद्र सरकार के हील इंडिया, हील बाय इंडिया हेल्थ प्रोजेक्ट की बनारस में आधारशिला रखी जाएगी। देश ही नहीं विदेशों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लाभ लेने के लिए बनारस नए केंद्र के रूप में विकसित होगा।
धर्म, अध्यात्म और संस्कृति की राजधानी बनारस जल्द ही मेडिकल टूरिज्म का नया केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई। आयुर्वेद निदेशालय ने इसका प्रस्ताव तैयार करके केंद्र सरकार को भेज दिया है। वहां से हरी झंडी मिलते ही इस पर आगे काम शुरू हो जाएगा।
मेडिकल टूरिज्म के नए केंद्र के लिए चौबेपुर में जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। केंद्र सरकार के हील इंडिया, हील बाय इंडिया हेल्थ प्रोजेक्ट की बनारस में आधारशिला रखी जाएगी। देश ही नहीं विदेशों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लाभ लेने के लिए बनारस नए केंद्र के रूप में विकसित होगा।
योग, पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा की सुविधाएं एक ही छत के नीचे
चौबेपुर स्थित आयुर्वेद विभाग की लगभग पौने पांच एकड़ की जमीन पर मेडिकल टूरिज्म की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को केंद्र में रखकर तीस बेड का आयुष अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यहां पर देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को योग, पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा की सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलेंगी।
क्या है मेडिकल टूरिज्म
जब कोई व्यक्ति इलाज कराने के लिए दूसरे देश की यात्रा करता है तो उसे मेडिकल टूरिज्म यानि चिकित्सा पर्यटन कहते हैं। हर साल काफी संख्या में विदेशी चिकित्सा पर्यटन के लिए भारत आते हैं। भारत में सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के लिए कई विकसित देशों के मरीज आ रहे हैं।
भारत में चिकित्सा सेवा की लागत पश्चिमी देशों की तुलना में 30 प्रतिशत कम है और दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे सस्ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने 156 देशों में सुविधा के लिए ई मेडिकल वीजा और ई मेडिकल अटेंडेंट वीजा भी शुरू किया है।
- मेडिकल टूरिज्म में 41 देशों की सूची में भारत पांचवें नंबर पर
- एशियाई देशों में मेडिकल टूरिज्म में भारत का पहला स्थान है
- 2014 में 1.39 लाख से ज्यादा मरीज इलाज के लिए भारत आए
- 2019 में सात लाख पहुंचा विदेशी मरीजों का आंकड़ा
- आशा खबर / शिखा यादव