रजिस्ट्रार ने बताया कि विवि स्थित कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केंद्र को भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) द्वारा प्रॉस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स में पीजी (एमपीओ) कोर्स शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई है। इसकी हमें पांच साल के लिए मान्यता दी गई है।
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दिव्यांग विद्यार्थी भी प्रोफेशनल बनेंगे। विवि प्रशासन उनका नए सत्र 2022-23 से आज की जरूरत को ध्यान में रखते हुए डिप्लोमा व सर्टिफिकेट के 12 नए कोर्स शुरू करेगा। साथ ही पहले से चल रहे कई कोर्सों में सीटें भी मांग को देखते हुए दोगुनी कर दी गई हैं। कुल मिलाकर नए सत्र में विभिन्न स्तर पर लगभग 700 सीटें बढ़ेंगी। इसके अलावा प्रवेश के लिए आवेदन तिथि भी पांच अगस्त से आगे बढ़ाई जाएगी। विवि प्रशासन केंद्रीय संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (नाइलेट) के सहयोग से डिप्लोमा व सर्टिफिकेट के 12 कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसमें ट्रिपलसी, ओ लेवल डिप्लोमा, ग्राफिक डिजाइनिंग, वेब डिजाइनिंग, डिप्लोमा इन एनीमेशन, कैड आदि शामिल हैं। इसमें कुछ तीन तो कुछ छह महीने व सालभर के होंगे। इसकी औपचारिकता शुक्रवार को पूरी कर इसके लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ये कोर्स करके विद्यार्थी प्रोफेशनल के रूप में तैयार होंगे। इससे रोजगार के अवसर तो मिलेंगे ही, साथ ही वह खुद का काम भी शुरू कर सकेंगे।
इसी क्रम में विश्वविद्यालय साइन लैंग्वेज इंटरपटेटर का कोर्स भी शुरू करने जा रहा है। इसके लिए विवि में भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) की विजिट हो चुकी है। जल्द ही इसकी भी प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। यही नहीं, विद्यार्थियों की मांग और काफी संख्या में आए आवेदन को देखते हुए विवि प्रशासन ने प्रि डिग्री सर्टिफिकेट फॉर द डेफ्थ (पीडीसीडी) कोर्स की सीटें 30 से बढ़ाकर 60 करने का निर्णय लिया है। इससे काफी डेफ विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए तैयार हो सकेंगे।
इसकी पढ़ाई साइन लैंग्वेज में होती है। रजिस्ट्रार अमित कुमार सिंह ने बताया कि इसी क्रम में बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की भी मांग को देखते हुए इसकी सीट 60 से बढ़ाकर 120 करने का निर्णय लिया गया है। इस तरह से नए सत्र में विभिन्न स्तर पर लगभग 700 सीटें बढ़ेंगी। वर्तमान में विश्वविद्यालय यूजी-पीजी की लगभग 2200 सीटों पर प्रवेश लेता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम सामान्य के साथ दिव्यांग विद्यार्थियों को भी आज की जरूरत के अनुसार तैयार कर सकें। इसी क्रम में यह कवायद की जा रही है।
एमपीओ के लिए मिली पांच साल की मान्यता
रजिस्ट्रार ने बताया कि विवि स्थित कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केंद्र को भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) द्वारा प्रॉस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स में पीजी (एमपीओ) कोर्स शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई है। इसकी हमें पांच साल के लिए मान्यता दी गई है। यह केंद्र एवं प्रदेश का पहला केंद्र है, जिसको केंद्र द्वारा एमपीओ पाठ्यक्रम शुरू करने की मान्यता दी गई है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता बैचलर इन प्रॉस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स (बीपीओ) के साथ आरसीआई में भी पंजीकृत होना अनिवार्य है। इसमें प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थी विवि की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। विवि में बीपीओ का कोर्स पहले से चल रहा है।
राष्ट्रीय रक्षा विवि के रीजनल सेंटर के संचालन के लिए एमओयू
राष्ट्रीय पुनर्वास विवि स्थित समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय के भवन में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय गांधीनगर गुजरात के रीजनल सेंटर के संचालन के लिए बृहस्पतिवार को लोक भवन में एक एमओयू किया गया। गृह विभाग और दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के बीच यह एमओयू तीन वर्ष के लिए किया गया है। रीजनल सेंटर के स्थायी भवन का निर्माण उप्र. स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज के कैंपस में चल रहा है। स्थायी भवन बनने तक रीजनल सेंटर का संचालन समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय से होगा। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, निदेशक दिव्यांगजन एवं सशक्तीकरण विभाग सत्य प्रकाश पटेल और राष्ट्रीय रक्षा विवि के कैंपस डायरेक्टर इंचार्ज नीरज कुमार मौजूद थे।