देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों की रफ्तार इस साल जुलाई में मंद होकर चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। उच्च महंगाई, प्रतिस्पर्धी दबाव और प्रतिकूल मौसम के कारण मांग प्रभावित होने से सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही एसएंडपी ग्लोबल इंडिया का सेवा पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में घटकर 55.5 रह गया, जो चार महीने में सबसे कम है।
हालांकि, तीव्र प्रतिस्पर्धा और प्रतिकूल मौसम की वजह से वृद्धि प्रभावित हुई। इससे समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक जून के 58.2 से गिरकर जुलाई में 56.6 पर आ गया। यह मार्च के बाद से सबसे कम वृद्धि को दर्शाता है। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।
55.5 रह गया सेवा पीएमआई घटकर जुलाई में, जून में 59.2 रहा था
उत्पादन और बिक्री दोनों की रफ्तार सुस्त
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की संयुक्त निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उच्च महंगाई के दबाव ने कारोबारी गतिविधियों को सीमित कर दिया। उत्पादन और बिक्री दोनों के बढ़ने की रफ्तार चार महीने में सबसे धीमी रही। इसका असर सेवा अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर पड़ा। घरेलू बाजार बिक्री का प्रमुख स्रोत बना रहा क्योंकि भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में पहले से और गिरावट आई है।
कंपनियों की लागत बढ़ी, रोजगार में सुधार नहीं
सर्वे में कहा गया है कि जुलाई में सेवा अर्थव्यवस्था में कारोबारी धारणा कमजोर रही क्योंकि सिर्फ 5 फीसदी कंपनियों ने ही आने वाले वर्ष में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जताई है। अधिकांश कंपनियों (94%) ने मौजूदा कारोबारी गतिविधियों में आगे सुधार नहीं होने की आशंका जताई है।
- कीमतों के मोर्चे पर सेवा प्रदाता कंपनियों का कहना है कि ईंधन, श्रम, यातायात, खुदरा और खाद्य महंगाई बढ़ने से जुलाई में उनके औसत खर्च में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ा है।
- जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में सेवा क्षेत्र के रोजगार में नगण्य वृद्धि हुई है। रोजगार सृजन की दर मोटे तौर पर जून के समान रही। अधिकांश कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं की।
गिरावट के बाद बैंकों में बढ़ी पूंजी
देश की बैंकिंग प्रणाली की तरलता में जबरदस्त तेजी आई है। यह 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। पिछले सप्ताह यह 50 हजार करोड़ घटकर तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। पिछले हफ्ते की तुलना में तरलता में चार गुना की वृद्धि हुई है। टैक्स के लिए बैंकों से अच्छी खासी रकम की निकासी हुई थी। इस से बैंकों के सामने तरलता की दिक्कत आ गई थी।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा