डॉ. अंबेडकर भवन में संचालित महाधिवक्ता कार्यालय में दो डीजल जेनरेटर वर्ष 2012 में भवन हैंडओवर करने से पहले ही लगाए गए। इनमें एक जेनरेटर 400 केवीए और दूसरा छह सौ केवीए क्षमता का था।
महाधिवक्ता कार्यालय में के रखरखाव और अनुरक्षण में हद दर्जे की लापरवाही बरतने की बात सामने आई है। दरअसल इस नौ मंजिला भवन में बिजली गुल होने की दशा में सप्लाई बाधित न होने देने के लिए दो जेनरेटर लगाए गए हैं। लेकिन, पता चला है कि स्थापना काल से अब तक ये दोनों डीजल जेनरेटर कभी उपयोग में लाए ही नहीं गए। अब लाखों रुपये की लागत वाले ये जेनरेटर भी अब बर्बाद हो गए हैं। बंद पड़े इन जेनरेटरों के नाम पर डीजल फूंका जाता रहा या नहीं, इसे लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
डॉ. अंबेडकर भवन में संचालित महाधिवक्ता कार्यालय में दो डीजल जेनरेटर वर्ष 2012 में भवन हैंडओवर करने से पहले ही लगाए गए। इनमें एक जेनरेटर 400 केवीए और दूसरा छह सौ केवीए क्षमता का था। दोनों जेनरेटर भवन के स्थापना काल से ही बंद पाए गए हैं। पीडब्ल्यूडी की ओर से इस भवन की मरम्ममत और अनुरक्षण के लिए शासन से मांगे गए बजट प्रस्ताव में इसका खुलासा हुआ है।
हालांकि पीडब्ल्यूडी के अफसर इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। कहा जा रहा है 10 महीने पहले तक इस भवन के अनुरक्षण का जिम्मा जल निगम की कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस के पास था। इसलिए इन सवालों पर वह कुछ नहीं कह सकते। उल्लेखनीय है कि ये दोनों जेनरेटर लाखों रुपये की लागत से खरीदे गए थे। लेकिन, करीब 11 वर्ष से बंद होने की वजह से अब ये चालू हालत में नहीं रह गए हैं।
हाईकोर्ट की बार कैंटीन में शार्ट सर्किट, पंखा जलकर स्वाहा
महाधिवक्ता कार्यालय की आग से चार तलों की जली फाइलों की राख अभी हटाई नहीं जा सकी,लेकिन इससे पहले बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट की बार कैंटीन में शार्ट सर्किट से आग लग गई। कैंटीन में धुएं के गुबार के साथ पंखे में आग की लपटें उठने से अफरा तफरी मच गई। हालांकि लाइन काट कर कुछ देर में आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन, यहां भी वर्षों पुरानी वायरिंग न बदले जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
आशा खबर / शिखा यादव