राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि हिंदू महिलाओं की तुलना में मुस्लिमों की प्रजनन दर ज्यादा गिर गई है। पांच साल बाद सिख महिलाओं की प्रजनन दर बढ़ी है।
प्रदेश में पिछले पांच साल में हिंदू महिलाओं की अपेक्षा मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में ज्यादा गिरावट आई है जबकि सिख महिलाओं की प्रजनन दर बढ़ी है। इसका खुलासा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय हर पांच साल पर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वे कराता है। इसमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रजनन दर आदि के आंकड़े शामिल किए जाते हैं। प्रजनन दर का तात्पर्य 15 से 49 साल की उम्र में प्रति हजार जीवित बच्चे के जन्म देने से है। वर्ष 2015-16 के बीच हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) 4 की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर 2.67, मुस्लिम की 3.10, सिख की 1.38 और अन्य की 1.75 थी।
वर्ष 2019-21 यानी एनएफएचएस 5 में हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर 2.29, मुस्लिम की 2.66, सिख की 1.45 और अन्य की 2.83 हो गई। यानी वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्ष 2019-21 हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर में 0.38 और मुस्लिम की 0.44 की गिरावट हुई। जबकि सिख महिलाओं की प्रजनन दर में 0.07 और अन्य में 1.08 की बढ़ोतरी हुई है।
प्रजनन दर की जातिवार स्थिति
जातीय स्थिति देखें तो अनुसूचित जाति का प्रजनन दर 3.09 से घटकर 2.57, अनुसूचित जनजाति का 3.61 से घटकर 2.72, ओबीसी का 2.76 से 2.35 और सामान्य का 2.28 से घटकर 2.03 पर आ गया है। यानी सर्वाधिक 0.59 की गिरावट अनुसूचित जनजाति में हुई है, जबकि सबसे कम 0.25 की सामान्य वर्ग में हुई है।
मुस्लिमों में भी अब कम बच्चे पर जोर
इससे स्पष्ट है कि मुस्लिमों में शैक्षिक विकास की गति तेज हुई है। वहीं अनुसूचित जनजाति में सर्वाधिक गिरावट के पीछे यह वजह है कि वे जंगल से निकलकर सर्व समाज के बीच पहुंच रहे हैं। यह सुखद संदेश है। -डॉ. बद्री विशाल, पूर्व महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य