राजस्थान हाईकोर्ट ने जेवीवीएनएल के एईएन से मारपीट के मामले में बाडी विधायक गिर्राज मलिंगा व एक अन्य आरोपी रोशन को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
जमानत याचिका में अधिवक्ता रजनीश गुप्ता और सुधीर जैन ने बताया कि आरोपी को प्रकरण में राजनीतिक द्वेषता के चलते फंसाया गया है। इसके अलावा मेडिकल बोर्ड का ऐसा कोई ओपिनियन भी पेश नहीं है, जिससे यह साबित हो कि संबंधित कर्मचारी को प्राणघातक चोटें आई हो। संबंधित कर्मचारी की कार्यप्रणाली के चलते प्रार्थी ने उसके तबादले की सिफारिश की थी। इसके अलावा मौके पर कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। जिसमें प्रार्थी विधायक होने के नाते शामिल हुआ था। मारपीट में उसका कोई हाथ नहीं है और उसे यह भी जानकारी नहीं थी की संबंधित कर्मचारी एससी या एसटी वर्ग का है। पीडित ने भी अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी। उसका नाम एफआईआर में 12 घंटे बाद जोड ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए। वहीं पीडित पक्ष की ओर से कहा गया कि आरोपी प्रभावशाली विधायक है और उसने मुख्यमंत्री के कहने पर ही सरेंडर किया था। उसके खिलाफ कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। ऐसे में यदि उसे जमानत की गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी जमानत याचिका का विरोध किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि बाडी विद्युत निगम कार्यालय में एईएन पद पर तैनात पीडित ने गत 31 मार्च को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि कार्यालय में मीटिंग के दौरान कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा और करीब आधा दर्जन लोग आए और उसके साथ मारपीट की। विधायक और उसके साथ पहुंचे लोगों ने जातिसूचक गालियां देते हुए महुआ के खेडा गांव से ट्रांसफार्मर उतारने की धमकी दी और लाठी-डंडों से मारपीट की। घटना के कुछ दिनों बाद सीएम के कहने पर मलिंगा ने समर्पण किया था। कोर्ट की ओर से मलिंगा को जेल भेजने के बाद कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।