केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कृषि व ग्रामीण विकास बैंकों का विशेष योगदान रहा है। देश के किसानों की आय दोगुना करने और उनको आर्थिक मदद देने के लिए इन बैंकों को और अधिक काम करने की जरूरत है। शाह ने कहा कि कृषि व ग्रामीण विकास बैंकों का उद्देश्य अपना कैपिटल बढ़ाना नहीं बल्कि किसानों का हित होना चाहिए तभी सहकारिता का उद्देश्य सिद्ध होगा।
शाह ने शनिवार को राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक फेडरेशन लिमिटेड (एनएएफसीएआरडी) की ओर से दिल्ली में आयोजित एआरडीबीसएस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंक किसानों के हर सुख-दुख में साथ रहे हैं। लेकिन समय और जरूरत को देखते हुए इन बैंकों को अपना दायरा और बढ़ाने की जरूरत है।
शाह ने कहा कि वर्ष 1920 के पहले कृषि क्षेत्र पूर्णरूप से वर्षा आधारित थी लेकिन देश के किसान संसाधन सम्पन्न बन सकें इसके लिए कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों ने लंबी अवधि की ऋण देने की शुरुआत की। इस शुरुआत से किसान धीरे-धीरे कृषि साधन सम्पन्न होते गए। शाह ने कहा कि देश की कृषि को भाग्य के आधार से परिश्रम के आधार में परिवर्तित करने का श्रेय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक को जाता है। इसके लिए सारे बैंक बधाई के पात्र हैं।
शाह ने कहा कि इन बैंकों को दीर्घावधि कृषि ऋण नीति योजना पर काम करना होगा तभी कृषि विकास संभव है और इसी में सहकार की भावना निहित है। इस लक्ष्य को हमें मिलकर पूरा करना है। जिन राज्यों में कृषि ग्रामीण बैंक की स्थिति ठीक नहीं है। उसे ठीक करना होगा। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को यह तय करना होगा कि वह अधिक से अधिक फाइनेंस ग्रामीण विकास के क्षेत्र में करें। किसानों के हितों में करें। तभी हमारे उद्देश्यों की पूर्ति होगी।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड और ग्रामीण विकास बैंकों का उद्देश्य सिर्फ बैंकिंग सेक्टर तक ही सीमित नहीं है। इन बैंकों को बैंकिंग के इतर भी काम करना होगा। उन्होंने कहा कि इन बैंकों को सोचना चाहिए कि उन्होंने कृषि विकास के क्रम में कितना काम किया है। क्या इसके प्रयासों से इरिगेशन लैंड बढ़ा है? उन्होंने कहा कि अमूल के विकास मॉडल से हमें सीखना चाहिए। शाह ने कहा कि अमूल ने सिर्फ संयंत्र ही नहीं लगाए बल्कि जिन गांवों में सड़क नहीं थी उन्होंने सरकार के साथ मिलकर सड़क बनाने में सहयोग किया। जिससे किसान का दूध तय समय में उन तक पहुंच सके।
शाह ने कहा कि लगभग तीन लाख ट्रैक्टरों का फाइनेंस कृषि ग्रामीण विकास बैंकों ने किया है। लेकिन यह सोचने की बात है कि क्या इतना पर्याप्त हैं? देश में आठ करोड़ से अधिक ट्रैक्टर हैं। क्या हमारे सहकारी बैंक किसानों को कृषि संसाधन खरीदने के लिए ऋण दे सकते हैं। इस दिशा में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि रिफॉर्म बैंक तक ही नहीं सीमित रहनी चाहिए बल्कि रिफॉर्म पूरे सेक्टर का होना चाहिए।