विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने शुक्रवार को कहा कि बिहार के फूलवारी शरीफ में पकड़े गए आतंकवादी मॉड्यूल से उजागर हुई पीएफआई की गतिविधियों और उनके इरादों से पूरा देश चिंतित है। 2047 तक संपूर्ण देश को दारुल इस्लाम में परिवर्तित करने और देश को शरीयत के बर्बर कानूनों से संचालित करने का उनका लक्ष्य एक बड़े खतरे की ओर संकेत कर रहा है।
जैन ने कहा कि यहां पर संपूर्ण देश के जेहादी युवक प्रशिक्षण ले रहे हैं। वे अपने अपने प्रदेश में अराजकता, अशांति और आतंक फैलाने की योजनाओं को लागू कर रहे हैं। देशभर में रामनवमी, महावीर जयंती आदि की शोभायात्राओं के ऊपर हिंसक हमले; शाहीन बाग, शिव विहार, जहांगीरपुरी आदि में हिंसा का तांडव; लव जिहाद व हिंदुओं पर प्राण घातक हमलों का राष्ट्रव्यापी स्वरूप इनके षड्यंत्रों का ही परिणाम है।
उन्होंने कहा कि इन सब आतंकी घटनाओं का केंद्रीय तंत्र से संचालित होना संपूर्ण देश की सरकारों के लिए एक चुनौती है। इसमें शामिल लोगों और उनके सहायकों पर ऐसी सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए जिससे कोई भी इनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित होने का सोच भी ना सके।
डॉ जैन ने कहा कि पूरे देश में किसी भी सेकुलर नेता द्वारा इस आतंकी माड्यूल की निंदा में, एक भी शब्द ना कहना, ज्यादा चिंता का विषय है। याकूब मेमन की फांसी को रुकवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने वाले, बटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के लिए आंसू बहाने वाले और बुरहान वानी जैसे आतंकियों के समर्थन में कैंडल मार्च निकालने वालों के मुंह में, ऐसे मौकों पर, दही क्यों जम जाती है ? ऐसे में अगर देश की जनता यह विश्वास करने लग जाती है कि जेहादी आतंकवाद छद्म सेकुलर नेताओं के सहयोग से ही पनप रहा है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
सोनिया, राहुल समेत इन सब सैकुलर गैंग के नेताओं को यह जवाब देना होगा कि उनके लिए राष्ट्र-हित पहले हैं या उनके क्षुद्र निहित स्वार्थ।
आगे डॉ सुरेंद्र जैन ने बिहार सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि कई वर्षों से चल रहे इस आतंकी प्रशिक्षण केंद्र को तभी क्यों पकड़ा गया जब प्रधानमंत्री के आगमन पर हमले की आशंका के कारण पुलिस बलों को अधिक सतर्क और सक्रिय होना पड़ा ? तमिलनाडु व केरल जैसे, जिहादियों से त्रस्त प्रदेशों के जिहादियों को भी बिहार अधिक सुरक्षित क्यों लग रहा है? बांका, दरभंगा, अररिया, भागलपुर जैसे कई अन्य स्थानों पर पिछले कुछ वर्षों में 100 से अधिक बम विस्फोट हो चुके हैं।
अनुसूचित जातियों की बस्तियों पर जिहादियों के द्वारा हमले तथा उन भाई बहनों पर कई प्रकार के अत्याचार लगातार हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि बिहार जिहादियों की शरण स्थली और ब्रीडिंग सेंटर बन गया है। बिहार सरकार को भी आत्म विश्लेषण करना चाहिए और राष्ट्रघाती सेकुलर नीति को छोड़कर जिहादियों पर लगाम लगानी चाहिए। बिहार क्रांति की धरती है। कहीं ऐसा ना हो कि बिहार के राष्ट्रवादी समाज को इन जेहादियों के विरुद्ध एक और क्रांति का शंखनाद करना पड़ जाए।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल