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हाथी पर सवार गुड्डू ने रोकी साइकिल की रफ्तार, अपना बढ़ाया आधार, भाजपा का बेड़ा पार

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गुड्डू जमाली

बसपा ने आजमगढ़ उप चुनाव में ढाई लाख से ज्यादा वोट लेकर सभी को चौंकाया। बसपा का दो प्रतिशत बढ़ा वोट बैंक, भाजपा को मिल गया लाभ। गुड्डू जमाली को मिले 29 प्रतिशत वोट, वर्ष 2014 के चुनाव में मिले थे 27 प्रतिशत वोट।

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बसपा भले ही तीसरे नंबर पर रही हो, लेकिन उसकी रफ्तार अच्छी रही। उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा। बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को ढाई लाख से ज्यादा वोट मिलने का असर रहा कि साइकिल यहां पंक्चर हो गई और भाजपा सिरमौर बन गई।

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे। ऐसे में आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ढाई लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए थे। इससे पहले 2014 के चुनाव में बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ही आजमगढ़ से चुनाव लडे़ थे। उन्हें कुल मतों का 27 प्रतिशत वोट मिला था। इस बार उप चुनाव में बसपा ने फिर से उन्हीं पर दांव लगाया।

उनका प्रदर्शन भी ठीक रहा और इस बार उन्हें 29 प्रतिशत वोट मिले। कुल 266210 वोट पाकर उन्होंने सपा की हार की पटकथा लिख दी। इस चुनाव के बाद यह माना जा रहा है बसपा भले ही विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से पस्त हो गई हो पर लोकसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत अभी कम नहीं हुआ है।
मायावती बार बार करती रहीं मुस्लिमों से अपील
इस चुनाव में मायावती ने आजमगढ़ में जाकर रैली नहीं की पर वह बार-बार सोशल मीडिया के जरिए अपील करती रहीं। वह खास तौर पर मुस्लिमों को यह समझाने की कोशिश करती रहीं कि यदि मुस्लिम और दलित वोटर एक हो जाएं तो भाजपा को हराया जा सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद से ही वह लगातार इस पर फोकस कर रही हैं। आजमगढ़ में उनकी अपील का असर भी आया कि मुस्लिम  वोटर सपा और बसपा के बीच बंट गए। इसके अलावा गुड्डू जमाली का वहां अपना भी मुस्लिमों में खासा असर है। इस समीकरण ने सपा की हार का आधार तैयार किया।

केवल आजमगढ़ पर किया था फोकस
बसपा आलाकमान को आजमगढ़ से अच्छे परिणाम की आस थी। यही कारण था कि रामपुर में उपचुनाव न लड़कर पार्टी ने पूरा फोकस आजमगढ़ पर किया था। बसपा को उम्मीद थी कि यदि यहां जीत मिल गई तो विधानसभा चुनाव के परिणाम से मिले जख्मों पर मरहम लग सकता है। वहीं इस चुनाव के परिणाम के बाद सोशल मीडिया पर फिर से बसपा पर आरोपों की बौछार शुरू हो गई। कहा जा रहा है कि बसपा ने सपा को हराने और भाजपा को जिताने के लिए ही यह चुनाव लड़ा था। हालांकि मायावती विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार इन आरोपों को गलत बताती आ रही हैं।

खुद जीतने के लिए चुनाव लड़ा था : जमाली
हम अपनी बात जनता तक सही तरीके से नहीं पहुंचा पाए, लेकिन इन परिस्थितियों में भी जनता ने मुझे इतना वोट दिया, इसके लिए जनता का शुक्रिया। हम और मेहनत करेंगे। हम यहां सपा को हराने या भाजपा को जिताने के लिए चुनाव नहीं लड़े थे। खुद जीतने के लिए चुनाव लड़े थे। सपा का यहां है ही क्या? मेरी तो यह जमीन है। मैं यहां पैदा हुआ हूं।
– शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली 

केवल बसपा में ही है भाजपा को हराने की शक्ति : मायावती
मायावती ने इस चुनाव को लेकर ट्वीट के जरिए कहा कि यूपी के इस उपचुनाव परिणाम ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि केवल बीएसपी में ही भाजपा को हराने की सैद्घांतिक व जमीनी शक्ति है। यह बात खासकर समुदाय विशेष को समझाने का पार्टी का प्रयास लगातार जारी रहेगा ताकि प्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन हो सके। उप चुनावों को सत्ताधारी पार्टी ही अधिकतर जीतती है फिर भी भाजपा व सपा के हथकंडों के बावजूद बसपा ने यहां जो कांटे की टक्कर दी है, वह सराहनीय है। 

 

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