कुल 361 किमी लंबी सड़कों का होना है चौड़ीकरण, मार्च में टेंडर हो चुके हैं फाइनल। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून ग्रानफील्ड छह लेन के चार पैकेज समेत 15 परियोजनाओं पर संकट।
यूपी में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के 15 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट जमीन न मिलने से फंस गए हैं। इनके लिए मार्च में ही टेंडर फाइनल हो चुके हैं। इनमें दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून ग्रीनफील्ड छह लेन के चार अति महत्वपूर्ण पैकेज समेत 15 परियोजनाएं शामिल हैं। इनकी कुल लंबाई 361 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-731 पर हरदोई बाईपास और लखनऊ-हरदोई चार लेन चौड़ीकरण भी फॉरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने से अटका पड़ा है।
एनएचएआई के रिकॉर्ड के अनुसार, ग्रीनफील्ड सिक्स लेन दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून के अलग-अलग चार पैकेज के लिए बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में संबंधित भूमि की कीमत दी जा चुकी है। लेकिन, अभी तक स्वीकृत सड़कों के लिए आवश्यक भूमि नहीं मिल सकी है। इसलिए फाइनल की गई एजेंसी को मौके पर काम प्रारंभ करने की तिथि (डेट ऑफ स्टार्ट) नहीं दे पा रहे हैं। नियम है कि 90 प्रतिशत तक भूमि और फॉरेस्ट क्लीयरेंस (वन विभाग की एनओसी) मिलने पर ही डेट ऑफ स्टार्ट दिया जा सकता है।
ये प्रमुख प्रोजेक्ट भी फंसे
- शामली में पानीपत-शामली (709 एडी) व करनाल-मेरठ बाईपास शामली (709 ए)
- बिजनौर में फोरलेन नजीबाबाद बाईपास
- मेरठ में एनएच-119 का मेरठ-गढ़मुक्तेश्वर स्पर (जोड़ने वाली ब्रांच रोड) व एनएच-58 पर बाईपास
- नजीबाबाद-कोटद्वार पेव्ड शोल्ड दो लेन सड़क
- मथुरा-हाथरस-बदायूं-बरेली हाईवे के मथुरा, हाथरस और अलीगढ़ में दो पैकेज
- मथुरा और हाथरस में यमुना एक्सप्रेसवे से एनएच-2 को जोड़ने वाला छह लेन आगरा बाईपास
- रामपुर में फोरलेन बाईपास
- रामपुर-रुद्रपुर पश्चिमी ओर का स्पर