बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए इस तरह की प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 61,000 करोड़ रुपये से कम करके 30,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
सरकार वित्त वर्ष 2025 के पूर्ण बजट में विनिवेश, संपत्ति मुद्रीकरण और अन्य पूंजी प्राप्तियों से 50,000 करोड़ रुपये हासिल करने का पहले का लक्ष्य ही बरकरार रख सकती है। यह लक्ष्य इसी साल फरवरी में पेश अंतरिम बजट में रखा गया था।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार परिसंपत्ति बिक्री नीति के बारे में अपने नए रुख पर चलती रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री पर सरकार का जोर रहेगा। मगर सौदे की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) तक जा सकती है।
अंतरिम बजट में सरकार ने पूंजी प्रबंधन की नीति में बदलाव किए थे। सरकार ने पहली बार अगले वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का कोई स्पष्ट लक्ष्य नहीं रखा था। बजट में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2025 में विविध पूंजी प्राप्तियों के मद में 50,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने का लक्ष्य है। इससे पहले सरकार कर्ज एवं अग्रिम प्राप्ति, विनिवेश और संपत्ति मुद्रीकरण और गैर ऋण पूंजी प्राप्ति जैसी श्रेणियों का उल्लेख करती थी।
बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए इस तरह की प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 61,000 करोड़ रुपये से कम करके 30,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इस 61,000 करोड़ रुपये में विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया था। आईडीबीआई बैंक, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील, बीईएमएल आदि की परिसंपत्तियां बेचने की योजना में देर हो रही है। इसी वजह से प्राप्तियों का लक्ष्य कम किया गया था।
वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2019 को छोड़ दें तो 2010 के बाद से केंद्र को विनिवेश लक्ष्य के मुकाबले कम रकम मिली है। फिर भी हर साल भारीभरकम लक्ष्य रख दिया जाता था। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक सहित कुछ संपत्तियों का मुद्रीकरण पूरा हो जाएगा।
आईडीबीआई बैंक पर आगे बढ़ने के लिए दीपम भारतीय रिजर्व बैंक की हरी झंडी का इंतजार कर रहा है। केंद्रीय बैंक देख रहा है कि बोली लगाने वाली संभावित संस्थाएं इसकी पात्र हैं या नहीं। केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम इस बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे।
दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने अंतरिम बजट के बाद संवाददाताओं से कहा था, ‘हमने विनिवेश के लिए कोई लक्ष्य नहीं रखा है…हमें एक झटके में संपत्ति त्यागने या बेचने के बजाय कुछ नया सोचना होगा। हम यही काम धीरे-धीरे और बेहतर तरीके से भी कर सकते हैं।’ सरकार जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से मिलने वाले लाभांश का अनुमान बढ़ा सकती है।