पनकी भऊ सिंह कूड़ा निस्तारण प्लांट में निर्माण करवाया जा रहा है। इसका जर्मनी से आई टीम ने मुआयना किया। टीम ने सीओडी नाले में पन्नियां, कचरा रोकने वाले बूम बैरियर और कूड़ा निस्तारण प्लांट को भी देखा।
कानपुर में पनकी स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट में जर्मनी सरकार के सहयोग से मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) प्लांट लगवाया जाएगा। इसके लिए नगर निगम निर्माण कार्य करा रहा है। यह काम दो महीने में हो जाएगा। इस ऑटोमैटिक प्लांट में पनकी सहित आसपास के चार वार्डों के कूड़े से गीला कूड़ा, प्लास्टिक, मलबा आदि अलग-अलग हो सकेगा।
ऐसे में प्लास्टिक कचरा गंगा में नहीं जा पाएगा। शुक्रवार को जर्मनी से आई टीम ने इसकी तैयारियों का जायजा लिया। मैनुअल मैटेरियल रिकवरी प्लांट देखने के साथ ही सीओडी नाला सहित कई स्थानों का निरीक्षण किया। नगर निगम पहुंचकर महापौर प्रमिला पांडेय, नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन से वार्ता भी की।
गंगा में जा रहे प्लास्टिक कचरे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार का जर्मनी की सरकार से अनुबंध हुआ है। इसके लिए गंगा किनारे स्थित कानपुर और समुद्र किनारे के दो शहरों (पोर्ट ब्लेयर और कोच्चि) का चयन किया गया है। इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत जर्मनी के अर्बन एंड इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट विभाग की जीआईजेड टीम ने सीओडी नाले में पन्नियां, कचरा रोकने वाला बूम बैरियर देखा।
करीब 60 फीसदी सिविल कार्य पूरा हो गया
पनकी भऊ सिंह कूड़ा निस्तारण प्लांट में एमआरएफ प्लांट लगाने के लिए चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया। इसका करीब 60 फीसदी सिविल कार्य पूरा हो गया है। यहां जर्मनी से आने वाली विशेष मशीन के जरिये कूड़े से प्लास्टिक, लोहा, मलबा और अन्य मैटेरियल अलग-अलग किया जाएगा।
पनकी भऊ सिंह कूड़ा निस्तारण प्लांट में एमआरएफ प्लांट लगाने के लिए चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया। इसका करीब 60 फीसदी सिविल कार्य पूरा हो गया है। यहां जर्मनी से आने वाली विशेष मशीन के जरिये कूड़े से प्लास्टिक, लोहा, मलबा और अन्य मैटेरियल अलग-अलग किया जाएगा।
टीम ने देखा मैनुअल प्रॉसेस
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमित सिंह ने बताया कि इंडो जर्मन प्रोजेक्ट के हेड क्रिस्टिन कैपफेसिटीनीयर और उनकी टीम ने सबसे पहले कृष्णानगर स्थित मैनुअल मैटेरियल रिवकरी प्लांट देखा। इसमें सफाई कर्मी कूड़े से प्लास्टिक, मलबा, गीला कूड़ा आदि अलग-अलग करते हैं।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमित सिंह ने बताया कि इंडो जर्मन प्रोजेक्ट के हेड क्रिस्टिन कैपफेसिटीनीयर और उनकी टीम ने सबसे पहले कृष्णानगर स्थित मैनुअल मैटेरियल रिवकरी प्लांट देखा। इसमें सफाई कर्मी कूड़े से प्लास्टिक, मलबा, गीला कूड़ा आदि अलग-अलग करते हैं।
तीन वार्डों का कूड़ा अलग उठेगा
डॉ. अमित सिंह के मुताबिक, सरायमीता में प्लांट का काम पूरा होते ही जर्मनी से मशीन कानपुर भेजी जाएगी। इसके बाद आसपास के तीन वार्डों का कूड़ा इसी प्लांट में अलग-अलग कर निस्तारित किया जाएगा। इस प्लांट में रोजाना करीब पांच मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारित किया जा सकेगा। पनकी, सरायमीता, आवास विकास-3 वार्ड से कूड़ा प्लांट में भेजा जाएगा।
कचरे को समुद्र में जाने से रोकने के लिए हो रहा काम
इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट के तहत कचरे को समुद्र में जाने से रोकने के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट के तहत भारतीय और जर्मन के पर्यावरण विशेषज्ञ गंगा के जरिये समुद्र के मरीन वाटर में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने पर काम कर रहे हैं।