अरुणा की बेटी एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपा पवार ने कहा, पिता की मृत्यु के बाद मां ने ही हमारा पालन-पोषण किया। वह एक भट्ठे पर काम करती थीं और कैंची, छुरी-कांटा आदि बेचती थीं। हम बहनों ने तय किया था कि श्रद्धांजलि स्वरूप हम उनका अंतिम संस्कार करेंगी, चाहे कुछ भी हो जाए।
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में पांच बेटियों ने परंपराओं को तोड़ते हुए अपनी मां के शव को कंधा दिया और श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया। ठाणे के बदलापुर में पांच बहनों के शवयात्रा में शामिल होने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया और लोग इसकी सराहना कर रहे हैं। अरुणा अशोक पवार (52) खानाबदोश दिसादी जनजाति से थीं। उनका 25 अगस्त को निधन हो गया था।अरुणा की बेटी एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपा पवार ने कहा, पिता की मृत्यु के बाद मां ने ही हमारा पालन-पोषण किया। वह एक भट्ठे पर काम करती थीं और कैंची, छुरी-कांटा आदि बेचती थीं। हम बहनों ने तय किया था कि श्रद्धांजलि स्वरूप हम उनका अंतिम संस्कार करेंगी, चाहे कुछ भी हो जाए।दीपा के मुताबिक मां के शव को बेटियों के कंधा देने और अंतिम संस्कार करने के विचार का उनके समुदाय में कुछ लोगों ने समर्थन किया जबकि कुछ ने विरोध, क्योंकि यह पहली बार हो रहा था। दीपा ने कहा, हमने एक मिसाल कायम की है और हमें खुशी है कि हमारे समुदाय और समाज ने समग्र रूप से हमारे कदम का समर्थन किया है। हमने वही किया जो हमें सही लगा। समाज बदल रहा है।