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अमित शाह के नेतृत्व में उच्च स्तरीय सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन, आतंकवाद सहित कई विषयों पर चर्चा

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सम्मेलन में आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, नार्को-फाइनेंस और साइबर सुरक्षा सहित कई प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई। दो दिवसीय सम्मलेन में राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा हुई।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने सभी राज्यों और एजेंसियों से कहा, वे ड्रग डीलरों और नेटवर्कों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रखें। सम्मेलन शुरू होने से पूर्व शाह ने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर सेवा कार्य के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी। सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों से बात करते हुए शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन में जिलास्तरीय पुलिस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने अग्रणी स्तर के पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे जांच में वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग बढ़ाएं। मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने देश तथा नागरिकों से संबंधित अन्य सुरक्षा संबंधी मुद्दों से भी निपटने का आश्वासन दिया। इस क्षेत्र में विभिन्न एजेंसियों के हासिल उपलब्धियों की सराहना की। गृह मंत्री शुक्रवार को सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करेंगे। सम्मलेन में आतंरिक सुरक्षा, आतंकवाद, नारको-वित्त और साइबर सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।

विभिन्न मुद्दों पर की गई चर्चा
सम्मेलन के पहले दिन आतंकवाद, नारको-वित्त संबंधी मुद्दों, जांच में फोरेंसिक के इस्तेमाल, सामाजिक चुनौतियों, परमाणु एवं रेडियोलॉजिकल आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों तथा साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क जैसे विषयों पर चर्चा हुई। फिजिकल और वर्चुअल मोड में हो रहे सम्मेलन में देशभर से शीर्ष पुलिस अधिकारी और विषय विशेषज्ञों सहित 750 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री, केंद्रीय गृह सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा संभालने वाले वरिष्ठ अधिकारी, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुख तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक शामिल हुए।

घुसपैठ रोकेंगे एआई से लैस स्वदेशी ड्रोन
सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए अब भारतीय सेना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद लेगी। एआई से लैस स्वदेशी ड्रोन सरहद की निगहबानी करेंगे। खास बात यह है कि इससे इस्राइल पर भारतीय सेना की निर्भरता भी खत्म होगी क्योंकि अब तक पाक-चीन सीमा पर इस्राइल निर्मित ड्रोन का ही इस्तेमाल हो रहा है। एआई तकनीक वाले अत्याधुनिक ड्रोन डीआरडीओ के सहयोग से बनाए जा रहे हैं। चंडीगढ़ स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला में पहले ही आधुनिक तकनीक से लैस रुस्तम यूएवी का निर्माण हो चुका है, जिसका इस्तेमाल सेना कर रही है। ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से लगातार नशा और अवैध हथियारों की तस्करी हो रही है।

इससे निपटने के लिए सेना ने अब नई तकनीक अपनाने की तैयारी कर ली है। जीरकपुर स्थित इंजीनियर ब्रिगेड के एक उच्च सैन्य अधिकारी ने बताया कि सेना डीआरडीओ की मदद से एआई तकनीक अपना रही है, जिसकी मदद से सरहद पर निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। भारत-पाकिस्तान और चीन सीमा पर एआई तकनीक से लैस आधुनिक ड्रोन भारतीय सेना के ‘कवच’ बनेंगे। इन ड्रोन के जरिए न केवल सीमा पार से हो रही आतंकी घुसपैठ पर निगरानी रखी जा सकेगी बल्कि घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया जाएगा।

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, ये ड्रोन आधुनिक हथियारों के साथ अब पहाड़ी और जटिल क्षेत्रों की निगरानी में काफी मददगार साबित होंगे। सरहद पर पाक और चीन ड्रोन का उपयोग जासूसी के लिए भी कर रहे हैं। दोनों देशों द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों सहित अन्य बुनियादी ढांचे और संवेदनशील जानकारियां एकत्रित करने की नाकाम कोशिश की जाती है। वहीं, एआई के जरिये भारतीय सेना सीमा पार हो रही गतिविधियों का सटीक विश्लेषण कर रही है, जिससे निगरानी तंत्र मजबूत हो रहा है।

डीआरडीओ और स्वदेशी कंपनियां बना रहीं हैं ड्रोन
सेना के उच्चाधिकारियों के मुताबिक, सीमा पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए डीआरडीओ और स्वदेशी कंपनियां आधुनिक ड्रोन का निर्माण कर रहीं हैं। डीआरडीओ द्वारा ड्रोन के खतरे से निपटने की तकनीक भी विकसित की जा रही है। सुरक्षा बलों द्वारा ड्रोन का उपयोग निगरानी, टोही और आक्रामक अभियानों के साथ-साथ दूरदराज के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रसद सहायता पहुंचाने के लिए भी किया जा रहा है।

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