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पूर्व चीफ बोले- हमारी प्रक्षेपण प्रणाली की निपुणता को स्वीकारेगा विश्व, अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ेगा

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भारतीय वैज्ञानिकों को सराहते हुए नायर ने कहा कि इसरो में कोई भी करोड़पति वैज्ञानिक नहीं है। वे सभी बेहद साधारण, शांत और व्यस्त जीवन जीते हैं। पैसों की चिंता भी नहीं करते, बल्कि अपने अभियानों को लेकर पैशन से भरे व समर्पित रहते हैं।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो के पास बंपर अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक अनुबंध आएंगे। हमारी प्रक्षेपण प्रणाली की योग्यता व निपुणता को विश्व में स्वीकारा जाएगा। भारत के खगोलीय अभियानों के सोपान का यह पहला पत्थर साबित होगा।

नायर ने कहा, हमने अपनी बात शुरू कर दी है और सच में बहुत अच्छी शुरुआत की है। इसके बाद अमेरिका व यूरोपीय देशों से व्यावसायिक अनुबंध इसरो को मिलने लगेंगे। कई देश हमारी तकनीकी क्षमता से परिचित होंगे। उपग्रहों व अंतरिक्ष यानों की हमारी प्रक्षेपण प्रणाली की गुणवत्ता से प्रभावित होंगे। आने वाले दिनों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ेगा, जो हमारा लक्ष्य भी है।

विकसित देशों के मुकाबले 20% वेतन पर काम कर रहे हमारे वैज्ञानिक
नायर ने दावा किया कि भारत के वैज्ञानिक विकसित देशों के मुकाबले महज 20 फीसदी वेतन पर काम कर रहे हैं। कम वेतन एक प्रमुख वजह है कि इसरो कम खर्च में अंतरिक्ष अभियान अंजाम दे पाता है। इसके वैज्ञानिकों, तकनीशियनों व अन्य स्टाफ को जो वेतन मिलता है, विकसित देशों में उन्हीं के स्तर के स्टाफ को पांच गुना तक वेतन मिल रहा है।

करोड़पति नहीं…लेकिन जुनून भरपूर
भारतीय वैज्ञानिकों को सराहते हुए नायर ने कहा कि इसरो में कोई भी करोड़पति वैज्ञानिक नहीं है। वे सभी बेहद साधारण, शांत और व्यस्त जीवन जीते हैं। पैसों की चिंता भी नहीं करते, बल्कि अपने अभियानों को लेकर पैशन से भरे व समर्पित रहते हैं। इसी वजह से देश नई ऊंचाइयां हासिल कर पा रहा है।

दूसरे देशों से 60% तक किफायती
नायर ने बताया कि भारत में ही विकसित तकनीकों की वजह से भी अंतरिक्ष अभियानों की लागत में कमी आई है। इसी वजह से भारत में अंतरिक्ष मिशन दूसरे देशों के मुकाबले 50 से 60 फीसदी तक किफायती पड़ते हैं।

मैं कंट्रोल रूम में प्रज्ञान के लैंडर से निकलने तक बैठा रहा : सिवन
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर बुधवार को सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भी वह नियंत्रण कक्ष में तब तक बैठे रहे, जब तक कि प्रज्ञान रोवर लैंडर से बाहर चंद्र सतह पर नहीं उतर गया। वह काफी देर रात घर लौटे। चंद्रयान-2 अभियान के समय इसरो के प्रमुख रहे सिवन ने मलाल जताते हुए कहा कि उस समय छोटी गलती न हुई होती तो भारत 2019 में ही चंद्रमा पर यान उतारने में सफल हो जाता। साथ ही बताया कि चार साल पहले मिली विफलता और गलतियों से सीखने व उन्हें दुरुस्त करने के बाद अब मिली ताजा सफलता से वह बेहद खुश हैं। सिवन के अनुसार, साल 2019 में ही चंद्रयान-3 के लिए सुधारों को तय कर लिया गया था। उनके शब्दों में, ‘चंद्रयान-3 को हमने 2019 में ही कन्फिगर कर लिया था। इसमें जो सुधार किए जाने थे, वे 2019 में तय कर लिए गए थे। बुधवार को हमने इन प्रयासों का फल चखा, अंतत: हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं।’

उम्मीद : 14 दिन से ज्यादा भी काम कर सकता है अभियान
चंद्रयान-3 अभियान का जीवन वैसे तो पृथ्वी के 14 और चंद्रमा के एक दिन जितना माना गया है, लेकिन इसरो के वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि यह इससे ज्यादा दिन जी सकता है और काम जारी रखते हुए भारत को चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकता है। इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने पूर्व में बताया था कि लैंडिंग के बाद एक के बाद एक सभी उपकरण शुरू होंगे और अपने काम करने लगेंगे। उन्हें केवल 1 चंद्र दिवस जितना समय मिलेगा। इसके बाद सूर्य अस्त होगा, घना अंधेरा छाएगा, तापमान शून्य से 180 डिग्री नीचे चला जाएगा। ऐसे विकट हालात में लैंडर और रोवर का बचना संभव नहीं है। हालांकि, अगर वे बच गए, तो नए चंद्र दिवस पर फिर से काम करने लगेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि ऐसा ही हो।

चंद्र का दक्षिण ध्रुव : मानव बस्ती बसाने का लक्ष्य
सोमनाथ ने दावा किया, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मानव बस्ती बसाने की क्षमता है। इसी वजह से यहां विक्रम को उतारने का निर्णय लिया। सोमनाथ ने बताया कि हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बेहद निकट हैं, यह लैंडर से 70 डिग्री पर है। इस क्षेत्र में कई खासियतें हैं जो इसे सूर्य से कम प्रकाशित होने की वजह से मिली हैं।

प्रज्ञान के रोबोटिक मार्ग पर काम शुरू करेगी टीम
रोवर प्रज्ञान को लेकर सोमनाथ ने बताया कि यह चंद्रमा की सतह पर घूमेगा, इसके रोबोटिक मार्ग को तैयार करने पर इसरो के वैज्ञानिकों की टीम जल्द काम शुरू करेगी। प्रज्ञान में दो उपकरण हैं, इनका काम चंद्रमा की संरचना में शामिल तत्वों और उनकी रासायनिक संरचना को पहचानना है। यह भावी अभियानों में महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके लिए रोबोटिक मार्ग परीक्षण करवाया जाएगा।

14 दिन की असाधारण यात्रा पर चंद्रयान-3: पवन गोयनका
भारतीय अंतरिक्ष संवर्द्धन व प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि चंद्रयान 14 दिन के असाधारण सफर पर निकल चुका है। उन्होंने बताया कि रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलने के बाद 12 दिन में करीब 500 मीटर (आधा किमी) का फासला तय करेगा। इस दौरान यह चंद्रमा की कई तस्वीरें लेगा, जो बेहद अहम साबित होंगी। उन्होंने बताया कि चंद्रयान दक्षिणी ध्रुव पर 69 डिग्री के अक्षांश पर मौजूद है। इसके अलावा चंद्रमा के भौगोलिक, भौतिकीय व रासायनिक संघटन के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल की जाएगा। उन्होंने कहा, अगले 14-15 दिनों में रोवर व लैंडर जो डाटा जुटाएंगे, उनसे वैज्ञानिकों के लिए चंद्रमा के बारे में कई नए आयाम खुलेंगे।

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