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कावेरी नदी के पानी पर भिड़े द्रमुक-कांग्रेस, स्टालिन ने पीएम से मांगी मदद

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स्टालिन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कर्नाटक को हर महीने बिलिगुंडलू में तमिलनाडु के हिस्से का पानी देना होगा। इस तरह से कर्नाटक सरकार समझौते और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है।

नए नाम इंडिया के साथ एकजुट हुए विपक्ष को एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है कि इसमें दरारें दिखनी शुरू हो गई हैं। गठबंधन में शामिल द्रमुक शासित तमिलनाडु और कांग्रेस शासित कर्नाटक कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर आमने-सामने हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को इस मसले को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है।

स्टालिन ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, कावेरी डेल्टा की जीवनरेखा मेट्टूर बांध में दो अगस्त को महज 75.32 करोड़ घन मीटर पानी बचा है। पीने के पानी और दूसरी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद बांध में धान की फसल की सिंचाई के लिए सिर्फ 15 दिन का पानी शेष है, जबकि आदर्श फसल के लिए 45 दिन पानी की जरूरत होगी। पानी की इस कमी के पीछे कांग्रेस शासित कर्नाटक के मनमाने रवैये को वजह बताते हुए स्टालिन ने कहा, एक जून से 31 जुलाई के बीच कर्नाटक से तमिलनाडु को 114.40 करोड़ घन मीटर पानी मिलना था, लेकिन इस दौरान सिर्फ 32.84 करोड़ घन मीटर पानी ही मिला। इस तरह से 81.55 करोड़ घन मीटर पानी कम मिला है।

 

समझौते का उल्लंघन कर रही कर्नाटक सरकार
स्टालिन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कर्नाटक को हर महीने बिलिगुंडलू में तमिलनाडु के हिस्से का पानी देना होगा। इस तरह से कर्नाटक सरकार समझौते और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है जबकि, कर्नाटक में पानी के संकट की भी स्थिति नहीं है।

स्टालिन ने प्रधानमंत्री को बताया कि वे इस मुद्दे को जलशक्ति मंत्री और कावेरी नदी जल प्रबंधन प्राधिकरण के सामने भी उठा चुके हैं। उन्होंने कहा, बासमती चावल की कम उपज के चलते केंद्र सरकार निर्यात को नियंत्रित कर रही है। अगर तमिलनाडु के किसानों को समय पर पर्याप्त पानी नहीं मिला, तो चावल का उत्पादन प्रभावित होगा।

मसखरी का दूसरा नाम है आईएनडीआईए- चंद्रशेखर
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने द्रमुक-कांग्रेस की लड़ाई पर तंज करते हुए कहा, दो वंशवादी पार्टियां डीएमके और कांग्रेस, जो कि आईएनडीआईए के सदस्य हैं, जिसे पहले यूपीए कहा जाता था। ये दोनों दल सिर्फ इसलिए साथ हैं, क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत करते हैं और अपने खानदानों को बचाना चाहते हैं। ये अपनी समस्याएं सुलझा नहीं पा रहे हैं। इसके लिए वे पीएम मोदी से मदद मांग रहे हैं कि वे इनके झगड़ों को सुलझाएं।

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