तृणमूल की सलाह पर मंगलवार की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति बनी। हालांकि, बुधवार को दूसरे दलों को साथ लिए बगैर गौरव गोगोई ने अकेले नोटिस दे दिया। नाराज सहयोगियों का कहना था कि एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए नोटिस देने के लिए सभी दलों को एक साथ जाना चाहिए था।
अकेले कांग्रेस की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को ले कर गठबंधन में शामिल दूसरे कई दलों की नाराजगी के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को जहां खेद जताने पड़ा, वहीं वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को मोर्चा संभालना पड़ा। विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों की इस बात पर आपत्ति थी कि जब प्रस्ताव पेश करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया तो नोटिस में महज कांग्रेस के सांसदों के हस्ताक्षर क्यों कराए गए? सूत्रों के मुताबिक, इसे लेकर तृणमूल, सपा, शिवसेना उद्धव गुट, वाम दल और द्रमुक ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद खरगे ने भविष्य में ऐसा नहीं होने का आश्वासन देते हुए खेद जताया। नाराजगी को दूर करने के लिए सोनिया गांधी संजय सिंह के धरने पर पहुंची और उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा की।
खरगे के चैंबर में बैठक में खुलासे पर नाराज
तृणमूल की सलाह पर मंगलवार की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति बनी। हालांकि, बुधवार को दूसरे दलों को साथ लिए बगैर गौरव गोगोई ने अकेले नोटिस दे दिया। नाराज सहयोगियों का कहना था कि एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए नोटिस देने के लिए सभी दलों को एक साथ जाना चाहिए था। जबकि इसी दिन खरगे के चैंबर में बैठक होनी थी। बैठक में जब पता चला कि प्रस्ताव का नोटिस दे दिया गया है, तो सहयोगी नाराज हो गए।