बंगाल में पंचायत चुनाव के बाद जारी हिंसा के चलते भाजपा के 500 से ज्यादा समर्थक अपने घरों से पलायन कर गए हैं। इनमें पंचायत चुनाव लड़ने वाले दर्जनों उम्मीदवार भी शामिल हैं।
बंगाल में पंचायत चुनाव के बाद जारी हिंसा के चलते भाजपा के 500 से ज्यादा समर्थक अपने घरों से पलायन कर गए हैं। इनमें पंचायत चुनाव लड़ने वाले दर्जनों उम्मीदवार भी शामिल हैं। बड़ी संख्या में गांव छोड़ने को मजबूर भाजपा कार्यकर्ता मेदिनीपुर स्थित भाजपा कार्यालय में भी शरण लिए हुए हैं।
राहत शिविर में कई अन्य महिलाएं भी रह रही हैं। जिला भाजपा के सह सचिव अरूप दास ने कहा, तृणमूल कांग्रेस की गुंडागर्दी के चलते भाजपा के 500 से अधिक समर्थकों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। राज्य से बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन कर असम में भी शरण ली है।
रविवार को बशीरहाट के हसनाबाद ब्लॉक के पतलिखानपुर में एक मछुआरे ने तालाब में जाल फेंका तो उसमें मतपत्रों का ढेर फंस गया। उधर, बालुरघाट के बीडीओ अनुज सिकदर ने स्थानीय थाने में सीसीटीवी चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बालुरघाट के सांसद सुकांत मजूमदार ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि सीसीटीवी कैमरे या उनके चिप चोरी होने की घटना कई अन्य जगहों पर भी हुई है।
घर में लटका मिला भाजपा कार्यकर्ता का शव
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में रविवार सुबह भाजपा के एक बुजुर्ग कार्यकर्ता का शव उसके घर में लटका मिला। घटना के बाद ग्रामीणों के एक वर्ग ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदार बताया।
पुलिस के मुताबिक, बामनगोला में बुरान मुर्मू (62) का शव उसके कमरे में लटका पाया गया। वह अपने बेटे-बहू के साथ रहता था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि बुरान की बहू ने हाल ही में तृणमूल के टिकट पर पंचायत चुनाव लड़ा था, पर भाजपा से हार गई थी। इसके बाद बुरान पर उसके बेटे और अन्य तृणमूल समर्थकों ने हमला किया था। ब्यूरो
तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों पर प्रताड़ित करने का आरोप
पुलिस ने कहा कि मामले में मृतक के बेटे बिप्लब से पूछताछ की जाएगी। मालदा उत्तर के भाजपा सांसद खगेन मुर्मू ने आरोप लगाया कि 11 जुलाई को परिणाम घोषित होने के बाद बुरान को तृणमूल समर्थकों ने प्रताड़ित किया था। वहीं, तृणमूल के वरिष्ठ नेता कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने भाजपा पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि घटना पारिवारिक विवाद का नतीजा है और तृणमूल का इससे कोई लेना-देना नहीं है।